डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा
निवेशकों के १२ लाख करोड़ रुपए स्वाहा
भारतीय बाजार की हालात खराब है। भारत में बीजेपी की सरकार आने के बाद रुपए में गिरावट लगातार जारी है। अब जब से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी हुई है, तबसे डॉलर चढ़ता जा रहा है और रुपया गिरता जा रहा है। कल शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स १,००० अंक गिर गया, जबकि निफ्टी २३,१०० अंक से नीचे चला गया। सेंसेक्स के टूटने के साथ ही निवेशकों के १२ लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। पहली बार कल भारतीय रुपया बेबस दिखा और २७ पैसे की गिरावट के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर ८६.३१ पर पहुंच गया।
भारतीय रुपए में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह डॉलर की मजबूती है। ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। इकोनॉमी में आई मजबूती के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने २०२५ के लिए प्रस्तावित ब्याज दरों में कटौती को वापस ले लिया है। ट्रंप की नीतियों से अमेरिकी कंपनियों और अमेरिकी बाजार को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। कॉर्पोरेट टैक्स कटौती और टैरिफ में बढ़ोतरी डॉलर को मजबूती दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाने की बात कही थी। इससे कई देशों के साथ व्यापार पर बैन लगाने का दवाब बढ़ेगा, जिसकी वजह से डॉलर के और मजबूत होने की उम्मीद है।
बढ़ सकती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें
रुपए के कमजोर होने का असर सिर्फ सरकार पर ही नहीं दिखेगा, बल्कि आम आदमी भी दवाब में आएगा। रुपए के गिरने से आयात महंगा हो जाता है और निर्यात सस्ता हो जाता है। रुपए के कमजोर होने पर सरकार को विदेशों से सामान खरीदने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। अगर खर्च ज्यादा होगा तो महंगाई का असर आम जनता तक पहुंचेगा। रुपए के कमजोर होने पर आयात बिल बढ़ेगा, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं यानी नागरिकों को महंगाई से जूझना पड़ेगा।
भारतीय बाजार से जा रहे हैं विदेशी निवेशक
विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से निकलने का सिलसिला जारी है, जिसकी वजह से भारतीय करेंसी पर दवाब बढ़ रहा है। इतना ही नहीं कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और घरेलू शेयर बाजारों की गिरावट ने भी भारतीय करेंसी पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। भारत का निर्यात आयात के मुकाबले कम है, जिसकी वजह से रुपया कमजोर हो रहा है।