एम एम सिंह
व्यवस्थाएं चाहे कितना भी निष्पक्षता का दिखावा कर लें, जब ऊपर वालों से पूछने का समय आता है तो ऐसी व्यवस्थाओं की हिम्मत डगमगाने लगती है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी मामले में पैâसला हो चुका है। ट्रंप को कोर्ट ने दोषी पाया है। उन्हें दी जाने वाली सजा का एलान आगामी जुलाई महीने में किया जाएगा। ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे व्यक्ति को दोषी ठहराने और सजा देने के लिए न्यायाधीशों में साहस की आवश्यकता होगी, जबकि वो आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार बन सकते हैं। हालांकि, जज युआन मर्चेन ने विवेक का परिचय देते हुए ट्रंप के खिलाफ फैसला सुनाया है। स्वाभाविक तौर पर मर्चेन चर्चा में आ गए हैं।
युआन मर्चेन की अदालत में यह पहला हाई-प्रोफाइल मामला नहीं है। हालांकि, यह भी सच है कि सभी का ध्यान इस ओर गया, क्योंकि मामला पूर्व राष्ट्रपति का है। मर्चेन ने लगभग दो दशकों तक न्याय के क्षेत्र में काम किया है और अपने अडिग रवैये के लिए जाने जाते हैं। मर्चेन परिवार अमेरिकी मूल का नहीं है। मर्चेन छह साल के थे, जब उनका परिवार कोलंबिया से अमेरिका में बसने आया था। उन्होंने अपना बचपन क्वींस, न्यूयॉर्क में बिताया। घर की हालत खराब होने के कारण उन्हें बचपन से ही कमाना पड़ा। नौ साल की उम्र में उन्होंने घर-घर किराने का सामान पहुंचाना शुरू कर दिया। उन्होंने कई छोटी-मोटी नौकरियां करके और पैसे कमाकर अपनी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा भी पूरी की। इसमें एक होटल में डिशवॉशर के रूप में काम करने के साथ-साथ एक होटल में मैनेजर के रूप में काम करना भी शामिल था। हालांकि, उन्होंने शिक्षा का मार्ग नहीं छोड़ा।
उन्होंने १९९० में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और १९९४ में कानून की डिग्री प्राप्त की। वह अपने परिवार में कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे। लॉ स्कूल पूरा करने के बाद मर्चेन ने मैनहट्टन में वकील के कार्यालय में पांच साल तक काम किया। उन्होंने कुछ समय तक प्रांतीय अटॉर्नी जनरल के कार्यालय में काम किया। उसके बाद उन्हें पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। अमेरिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति सत्तारूढ़ दलों द्वारा किए जाने का प्रावधान है। इसका मतलब है रिपब्लिकन और डेमोक्रेट पार्टियों द्वारा मर्चेन को समय-समय पर न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। अब ट्रंप ने मर्चेन पर उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण फैसले देने का आरोप लगाया है।
वैसे मर्चेन हैं कि आरोपों पर घास नहीं डालते। न्यूयॉर्क सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने कई संवेदनशील मामलों में फैसला सुनाया है। विशेषकर आपराधिक मामलों में दिए गए उनके कई फैसले प्रसिद्ध हैं। मर्चेन ने एना क्रिस्टीन नाम की महिला को अमीरों के लिए वेश्यालय चलाने के जुर्म में सजा सुनाई थी। क्रिस्टीन का कहना था कि उसे पता नहीं था कि यह गैरकानूनी है और उसे इसका पछतावा है। मर्चेन ने उसकी सजा कम कर दी। मर्चेन ने ही ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन कर चोरी मामले में मुख्य वित्तीय अधिकारी एलन वीसेलबर्ग को दोषी ठहराया था। यह जुर्माना लगभग सोलह मिलियन डॉलर का और कारावास था। ७५ वर्षीय वीसेलबर्ग को मर्चेन ने पांच महीने जेल की सजा सुनाई थी। स्टीव बैनन ट्रंप के वित्तीय सलाहकार थे, जो अनियमितताओं में भी फंसे थे। उन्होंने यूएस-मेक्सिको सीमा दीवार के निर्माण के फाइनैंस के लिए निजी धन जुटाया, लेकिन उस पैसे का उपयोग जिस उद्देश्य के लिए किया जाना था उसके लिए करने के बजाय, उन्होंने उसमें से कुछ हिस्सा कहीं और लगा दिया। बैनन के मामले की सुनवाई मर्चेन की ही अदालत में चल रही है और नतीजा किसी भी वक्त घोषित किया जा सकता है। मर्चेन ने पहले ट्रंप से संबंधित कॉर्पोरेट कदाचार मामलों में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है। इस वजह से खुद ट्रंप के खिलाफ उनकी ही अदालत में केस भी चला। लेकिन ट्रंप ने शुरू से ही मर्चेन पर निशाना साधा है, जो मूल रूप से कोलंबिया के हैं। ट्रंप ने मर्चेन पर मामले से बाहर रहने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की, यह सवाल करते हुए कि वो ट्रंप को कैसे पसंद करेंगे क्योंकि कि मर्चेन की बेटी डेमोक्रेट पार्टी से जुड़ी हुई है। हालांकि, मर्चेन ने यह कहते हुए मामले से दूर रहने से इनकार कर दिया कि उन्हें विश्वास है कि वो समझदारी से फैसला देंगे। भले ही ट्रंप के मन में मर्चेन के खिलाफ जो भी हो, लेकिन मर्चेन को लेकर कानून के क्षेत्र में उनकी बड़ी इज्जत है और सभी को पूरा विश्वास है कि उनका फैसला ऐतिहासिक होगा।