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चीन-पाकिस्तान के दोहरे खतरे के बीच … रक्षा बजट में रु. १.६७ लाख करोड़ की कटौती!

देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश के पश्चिम व उत्तर दोनों तरफ से दोहरा खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान व चीन से मुकाबले के लिए ज्यादा रक्षा बजट की जरूरत है पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में १.६७ लाख करोड़ रुपयों की कटौती कर दी। इससे देश की सुरक्षा पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
बता दें कि कल पेश हुए बजट में रेलवे और रक्षा जैसे सेक्टरों को निराशा हाथ लगी है। वित्त वर्ष २०२४-२५ के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए ४.५४ लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को ६.२१ लाख करोड़ रुपए देने का एलान किया गया था। यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन १.६७ लाख करोड़ रुपए कम हो गया है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब रक्षा क्षेत्र के बजट में इस तरह की कटौती हुई है। इससे पहले मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा क्षेत्र का बजट लगातार बढ़ता गया था। इस बार के बजट से पहले पिछले चार साल में रक्षा बजट का आकार लगभग ३० फीसदी बढ़ा था। साल २०२० के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार ने ४.७१ लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। उसके बाद २०२१ के बजट में रक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाकर ४.७८ लाख करोड़ रुपए किया गया था। पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते ४ साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में ६.५ फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी। मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो। इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है। ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट ६ लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे।

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