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गर्मी से तंग अनारकली… डिस्को नहीं, पानी में चली!

५८ साल की हो चुकी है ‘रानी बाग की रानी’
रामदिनेश यादव / मुंबई
दक्षिण मुंबई के भायखला स्थित वीरमाता जीजाबाई बॉटनिकल गार्डन और प्राणी संग्रहालय (रानीबाग) के वन्य जीव इन दिनों गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। चिलचिलाती धूप और तपिश के बीच रानीबाग में पशुओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। खासकर, रानी बाग के प्रमुख आकर्षणों में एक मानी जानेवाली एकमात्र हथिनी अनारकली का। दिन में उसकी इच्छा के अनुसार उसे कई बार नहलाया जा रहा है। कभी-कभी तो अनारकली दिन में तीन-तीन बार बगल में बने तालाब में नहाने के लिए खुद ही कूद जाती है। हालांकि महावत भी उसकी इच्छा को देखते हुए बाल्टी से पानी भरकर उसे नहलाता है। पानी में अठखेलियां मारती अनारकली को देखकर पर्यटक भी बेहद हर्षित होते हैं। रानीबाग प्राणी संग्रहालय के निदेशक संजय त्रिपाठी ने बताया कि इस हथिनी के प्रति पर्यटकों में जबरदस्त आकर्षण है।
अनारकली के साथ दो और हाथी थे
अनारकली को १९७२-७३ में मुंबई के प्राणी संग्रहालय में लाया गया था। अनारकली उस समय के तीन सबसे छोटे हाथियों में से एक थी। फिलहाल अनारकली की उम्र ५८ साल है। अनारकली की सेवा करने वाले खान परिवार की चौथी पीढ़ी इस समय काम कर रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाता है कि हाथी को अच्छी तरह से खिलाया जाए और भोजन ठीक हो। क्योंकि गलत आहार के कारण भी हाथियों के पेट में दर्द होता है।
भूख से तोड़ देते हैं दम
आमतौर पर एक हाथी ६५ से ७० वर्ष तक ही जीता है। इस अवधि के दौरान हाथी के चार आगे के दांत कुल छह बार टूट कर गिरते हैं। जब छठी बार दांत गिर जाते हैं तो ये दांत उम्र भर के लिए दोबारा नहीं उगते। ऐसे में हाथी को खाने में बड़ी दिक्कत होती है। इसलिए कई बार हाथी भुखमरी का शिकार हो जाते हैं। लेकिन जीजामाता पार्क में फिलहाल अनारकली के खाने का पूरा ख्याल रखा जाता है।
अनारकली का खास खयाल
महावत साजिद खान ने बताया कि हाथियों की नियमित सफाई शामिल है। दिन में तीन से चार बार अनारकली को नहलाया जाता है। वह खुद पानी में उतर जाती है और पानी के फुहारे मारने का इशारा करती है। साथ ही प्रतिदिन पेयजल की समुचित आपूर्ति का भी ध्यान रखा जाता है। हरा चारा, सूखा चारा, गाजर, गन्ना हाथी को खिलाया जाता है। साथ ही यह व्यवस्था की गई है कि हाथी को रोजाना दौड़ने के अभ्यास के साथ-साथ सुबह की धूप भी मिले। मुंबई जैसे नम वातावरण में हाथियों के लिए मिट्टी के खेल और तैरने की भी व्यवस्था की गई है।

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