सामना संवाददाता / मुंबई
मानधन वृद्धि, पुरानी पेंशन योजना और ग्रेच्युटी को लेकर शासनादेश जारी करने का आश्वासन देकर आंगनवाड़ी सेविकाओं के हड़ताल और धरना प्रदर्शन को खत्म करवानेवाली शिंदे-भाजपा सरकार का एक बार फिर से झूठापन उजागर हो गया है। हालांकि, सरकार के इस अड़ियल रुख के बावजूद आंगनवाड़ी सेविकाएं अपनी जिद पर अड़ी हैं और आज से वापस तीन दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठने जा रही हैं। इसके साथ ही चार सितंबर को जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव भी करेंगी।
उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर ४ दिसंबर २०२३ से २५ जनवरी २०२४ तक ५२ दिनों की राज्यव्यापी हड़ताल की थी। इसमें उन्होंने आशा कर्मचारियों की तुलना में अधिक मानधन वृद्धि का सरकारी निर्णय जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए। उन्हें कानूनी रूप से ग्रेच्युटी दी जानी चाहिए। पहले की चर्चा में सहमति के अनुसार, उन्हें मासिक पेंशन योजना लागू की जानी चाहिए, जैसी मांगें की गई थीं। हालांकि, हड़ताल के दौरान महिला व बाल विकास मंत्री ने लिखित आश्वासन दिया था कि पहले आशा सेविकाओं के मानधन में वृद्धि की जाएगी। उसके बाद आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन को भी बढ़ाया जाएगा। फिलहाल, घाती सरकार ने १४ मार्च २०२४ को आशा सेविकाओं के मानधन में ५,००० रुपए प्रति माह की वृद्धि का निर्णय लिया है। ऐसे में आंगनवाड़ी सेविकाओं को भी आशा सेविकाओं के समान मानधन में वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन इस सरकार ने अभी तक आंगनवाड़ी सेविकाओं के वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव ही नहीं दिया। ऐसे में एक बार फिर से पिछले महीने उन्हें आजाद मैदान में कई दिनों तक धरना प्रदर्शन करना पड़ा।