-खाना-पानी छोड़ा
-जेल भरो किया आंदोलन
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के गांव-गांव में काम करनेवाली आंगनवाड़ी सेविकाओं ने आक्रामक रुख अपनाते हुए मुंबई के आजाद मैदान में उतर चुकी हैं। आंगनवाड़ी सेविकाएं२३ सितंबर से मुंबई में विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। उनका साफ कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि क्रियान्वयन होना चाहिए। राज्यभार से कल आजाद मैदान में इकट्ठा हुईं करीब २२ से २५ हजार आंगनवाड़ी सेविकाओं ने जोरदार तरीके से `जेलभरो आंदोलन’ किया। इस दौरान पुलिस ने करीब ८० से ९० महिलाओं को हिरासत में ले लिया। दूसरी तरफ बिना खाना और पानी के वे अपनी मांगों को लेकर जिद पर अड़ी हुई हैं। इसके बावजूद महायुति सरकार पिघलती हुई नहीं दिखाई दे रही है। उल्लेखनीय है कि कई बार पत्राचार और हड़ताल के बाद भी महायुति सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं की मांगें नहीं मान रही है।
राज्य भर से लगभग २० से २५ हजार आंगनवाड़ी सेविकाएं अपना घर द्वार छोड़कर मुंबई में प्रवेश कर चुकी हैं। कुछ आंगनवाड़ी सेविकाएं अपने बच्चों के साथ पहुंची हैं। आजाद मैदान में कल बिना पानी और भोजन के ये प्रदर्शनकारी महिलाएं तेज धूप में बैठी थीं। पानी की कमी के कारण महिलाओं और बच्चों के गले सूख रहे थे। इस बीच दोपहर में तीन से चार गाड़ियां भरकर आंगनवाड़ी सेविकाएं जेलभरो आंदोलन में शामिल होकर येलो गेट के पास पहुंचीं, साथ ही जमकर नारेबाजी भी कीं।
वादे नहीं, होनी चाहिए कागजी कार्रवाई
आंगनवाड़ी सेविकाओं की मांग है कि अब सिर्फ वादे नहीं, बल्कि कागजी कार्रवाई की जाए। साथ ही हमारी मांगें मानते हुए न्याय दिया जाए। इंदापुर, पालघर, राजापुर, रत्नागिरी, आबलोली, सतारा, सांगली, कोल्हापुर, नासिक, पंढरपुर और राज्य के अन्य हिस्सों से आंगनवाड़ी सेविकाएं मिले साधनों से आजाद मैदान पहुंची हैं। संगठन की ओर से कहा गया है कि आंगनवाड़ी सेविकाओं के प्रतिनिधि मंडल की पहली बैठक पालक मंत्री अदिति तटकरे के साथ होगी। उसके बाद अगली वैâबिनेट में उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के समक्ष यह मामला रखा जाएगा। आंगनवाड़ी सेविकाओं का मानना है कि अभी पैâसला होना चाहिए, क्योंकि आचार संहिता कभी भी लागू हो सकती है।