एकता कपूर के शो ‘कसौटी जिंदगी की’ से एक्टिंग में डेब्यू करनेवाली शुभांगी अत्रे आज घर-घर में एक लोकप्रिय चेहरा बन चुकी हैं। लोकप्रिय कॉमेडी शो ‘भाबीजी घर पर है’ में अंगूरी भाभी का किरदार निभानेवाली शुभांगी अत्रे के इस शो ने अपने प्रसारण के दो हजार से अधिक एपिसोड पूरे कर लिए हैं। पेश है, शुभांगी अत्रे से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
दो हजार एपिसोड पूरे करनेवाले शो ‘भाबीजी घर पर है’ की सफलता का श्रेय आप किसे देना चाहेंगी?
-मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं, जो मुझे इस कॉमेडी शो का हिस्सा बनने का सुनहरा मौका मिला और दर्शकों ने मेरे किरदार अंगूरी भाभी को खूब सराहा। लेकिन जहां एक पूरी टीम काम करती है वहां श्रेय किसी एक या दो व्यक्ति का नहीं होता। इस श्रेय में पूरी टीम का योगदान है। मेरा भी इसमें थोड़ा-बहुत योगदान है।
आपके अनुसार इस शो की सफलता का राज क्या है?
-मुझे इंडट्री में काम करते हुए १७ वर्ष हो गए हैं, मैंने दर्जनों सास-बहू के शोज देखे हैं। ‘भाबीजी घर पर है’ एक पारिवारिक शो है, जिसमें सास-बहू हैं लेकिन शो की खासियत यह है कि इसमें सास-बहू ने दर्शकों को रुलाया नहीं, हंसाया है। सभी किरदार बहुत रिलेटेबल हैं। हिंदी की जो लोकल भाषा गुम हो गई थी, उस भाषा का प्रयोग यहां किया गया है, ऐसी कई बातें हैं जिससे लोग शो ‘भाबीजी घर पर है’ के साथ कनेक्ट हुए।
आपने अंगूरी भाभी के किरदार को कैसे अलग बनाया?
-मैंने यूपी, बिहार, एमपी की कुछ महिलाओं का निरीक्षण किया और उसे अंगूरी भाभी के किरदार में पिरोया। जैसे राबड़ी देवी कैसे बातचीत करती हैं, मेरी अपनी मां भी जब घर पर होती हैं, खाना बनाते समय वे कैसे गाना गाती हैं, कैसे काम करते-करते मेरे पापा से बातें करती हैं, उनकी राय जानना चाहती हैं, कैसे गेहूं-चावल को सूप में लेकर उन्हें साफ करती हैं, ऐसी कई छोटी बातें हैं, जिन्हें ऑब्जर्व करते हुए मैं अंगूरी भाभी बन गई।
आखिर अंगूरी भाभी क्यों पसंद है लोगों को?
-अंगूरी भाभी न बिल्कुल मॉडर्न है और न देहाती है। वो स्वीट है, खूबसूरत है लेकिन इंटेलीजेंट नहीं है। अधिकांश भारतीय मर्दों की मानसिकता यही है कि उन्हें बुद्धिमान स्त्री पत्नी के रूप में अच्छी नहीं लगती और अंगूरी में सादगी है। अंगूरी भाभी की समझ कम है और पुरुष प्रधान समाज को सुननेवाली बीवी पसंद है, सुनाने वाली नहीं। यही एक मुख्य कारण है, जो अंगूरी भाभी मर्दों को ज्यादा पसंद है।
आपने अंगूरी भाभी बनने के लिए क्या-क्या तैयारियां की, पहले इस किरदार को अभिनेत्री शिल्पा शिंदे जो निभा रही थीं?
-स्क्रिप्ट पूरी तैयार होकर ही आती है। शुरू-शुरू में जब शिल्पा शिंदे ‘अंगूरी’ को निभा रही थीं और शो सफल था। फिर उनके स्थान पर मुझे कास्ट कर लिया गया। मैं अंगूरी भाभी करने के लिए हिचकिचा रही थी क्योंकि अंगूरी को शिल्पा ने यादगार बना दिया था। मैं तो चलती ट्रेन में चढ़ी थी लेकिन शो की पूरी यूनिट ने मुझे समझाया कि अंगूरी भाभी को आप पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कीजिए, एक खास किरदार जरूर बनकर उभरेगा और ऐसा ही हुआ। मैंने अंगूरी भाभी के किरदार को फील किया और काम करते गई और आज आलम यह है कि लोग कहते हैं कि कभी लगा ही नहीं कि आप पहले शो से अंगूरी नहीं थीं।
अंगूरी भाभी के तकिया कलाम ‘सही पकड़े हैं’ को आपने वैâसे पकड़ लिया?
-अंगूरी का कहना ‘सही पकड़े हैं’ उसके भोलेपन का नमूना है। बिना सोचे-समझे अंगूरी बोल देती है सही पकड़े हैं। यह लफ्ज ‘सही पकड़े हैं’ इतना लोकप्रिय बन गया कि इसे हर दूसरे व्यक्ति के साथ-साथ पॉलिटिकल लीडर्स तक बोल रहे हैं। मैं मध्य प्रदेश (पंचमढ़ी) की ब्राह्मण हूं और मेरे लिए किसी भी टोन का लहजा पकड़ना मुश्किल नहीं है। गुजराती, पंजाबी, बांग्ला, मराठी सहित सभी भाषाओं के लहजे मैं बहुत आसानी से पकड़ लेती हूं।
अपनी अभिनय जर्नी से आप कितनी संतुष्ट हैं?
-मैंने एमबीए की डिग्री ली है, ताकि एजुकेशन मेरे साथ हमेशा रहे लेकिन मैं अभिनय करना चाहती थी। मैंने १२ वर्ष की उम्र में कथक सीखा है, मैं कथक डांसर भी हूं। मुंबई आकर मुझे ‘बालाजी टेलीफिल्म्स’ में ऑडिशन देने का मौका मिला और ‘कसौटी जिंदगी की’ शो में मेरा सिलेक्शन हुआ। इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा। ‘भाबीजी घर पर है’ शो ने मेरे करियर में चार चांद लगा दिए।