– भाजपा, सीबीआई और पुलिस के कुछ अफसरों पर लगाए गंभीर आरोप
– परमबीर सिंह के सहयोग से रची गई साजिश का किया भंडाफोड़
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
दिवाली की शुरुआत हो गई है और पटाखों की आवाज गूंजने लगी है। इसी के साथ विधानसभा चुनाव को लेकर भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इन सबके बीच राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता व राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने एक ‘पुस्तक बम’ फोड़ा है। इस पुस्तक में देशमुख ने कुछ सीबीआई और पुलिस अफसरों पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस पर भी फर्जी हलफनामे पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाने की जानकारी भी इस पुस्तक के जरिए दी है। इसके साथ ही उन्होंने परमबीर सिंह द्वारा रची गई साजिश का भंडाफोड़ भी किया। इतना ही नहीं, उन्होंने पुस्तक में कहा है कि मैं एक भयानक साजिश का शिकार हुआ, जिस कारण मुझे अकारण १४ महीने तक जेल में बिताने पड़े।
देशमुख की ‘डायरी’ ने खोले भाजपा के काले कारनामे!
विधानसभा चुनाव में अनिल देशमुख की पुस्तक ‘डायरी ऑफ ए होम मिनिस्टर’ ने भाजपा के काले कारनामे को उजागर कर दिया है। देशमुख ने पुस्तक में लिखा है कि राज्य का उत्पाद शुल्क मंत्री रहते हुए गुटखा-पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने के लिए गैंगस्टर और मकोका एक्ट जैसे कठोर कानून के तहत कार्रवाई करने का मन बना लिया था। मुझे पता था कि यह हजारों करोड़ रुपए का कारोबार है। इस पर प्रतिबंध लगाने से राज्य को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होगा। इसके बाद साल २०२० में दिल्ली की बैठक से वापस मुंबई लौट रहा था, उसी समय प्लेन में मेरे साथ गुटखा और पान मसाला की लॉबी भी मौजूद थी। उनमें से एक ने मेरे पास मौजूद फाइल की ओर इशारा किया। मैंने उन्हें अप्वाइंटमेंट लेकर आने के लिए बोला, तो उन्होंने कहा कि ऐसा संभव नहीं होने के कारण हमें यह रास्ता अपनाना पड़ा।
किताब में देशमुख ने बताया है कि अप्रैल २०२१ में सीबीआई की विशेष टीम मुंबई पहुंच गई, लेकिन उससे पहले ही टीम एसीपी संजय पाटील से दो बार पूछताछ कर चुकी थी। इसके अलावा परमबीर सिंह, सचिन वझे, डीसीपी राजू भुजबल, होटल मालिक राजू शेट्टी जैसे लोगों के बयान दर्ज किए गए। मेरे कार्यालय के दो कर्मियों की १० घंटे तक पूछताछ होती रही। २१ अप्रैल को मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया। परमबीर की तथ्यहीन याचिका पर सीबीआई ने विश्वास किया। हालांकि, अंबानी कांड और मनसुख हत्याकांड की सुई परमबीर पर थी। इसके चलते उनका कामकाज सवालों के घेरे में था, राज्य सरकार की ओर से जिसकी जांच चल रही थी। वझे की गिरफ्तारी के बाद उनके खास प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी होनेवाली थी। इन घटनाक्रमों के बीच बाद में परमबीर सिंह ने कबूल किया कि उनके पास कोई सबूत नहीं है।
देशमुख ने कहा है कि सीबीआई की पार्लियामेंट्री इंक्वायरी की प्राथमिक रिपोर्ट में मुझे क्लीन चिट मिल गई थी। फिर भी पुलिस ने १०० करोड़ रुपए की वसूली के टार्गेट के झूठे आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। यह आरोप भी सीबीआई की जांच में झूठा साबित हुआ। भले ही मैं पूरी तरह से मुक्त नहीं हो सका, लेकिन भाजपा की फजीहत हो गई। इसके पीछे का उनका मकसद और साजिश खुलकर सामने आ गई। ईडी और सीबीआई के कार्यालय में मेरे साथ बदले की भावना से परेशान किया जाने लगा, लेकिन मैं कतई नहीं टूटा।
उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को फंसाने की थी चाल
अनिल देशमुख ने कहा है कि भाजपा हलफनामा के जरिए शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे पर झूठा आरोप लगाना चाहती थी कि मनपा चुनाव में ३०० करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा गया है। साथ ही आदित्य ठाकरे पर फर्जी बलात्कार का आरोप मढ़ना चाहती थी। इसके अलावा गुटखा-पान मसााला बाजार से पैसा वसूलने की जिम्मेदारी पार्थ पवार को सौंपने की बात कही गई थी। मुझे गृहमंत्री के तौर पर मदद करनी थी। इसके साथ ही दावोस में सार्इं रिसोर्ट के कागजातों पर मालिक सदानंद कदम को दिखाया गया है, जिसे संभालना है।