मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की बात : युवाओं पर फोकस है अखिलेश की राजनीति

उत्तर की बात : युवाओं पर फोकस है अखिलेश की राजनीति

रोहित माहेश्वरी
लखनऊ

समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार को आये दिन किसी न किसी वजह से कटघरे में खड़ा करते रहते हैं। इन दिनों अखिलेश प्रदेश में दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव की ग्राउंड तैयारियों में व्यस्त हैं। जिस तरह लोकसभा चुनाव में प्रदेश के युवा और युवा वोटरों ने अखिलेश को समर्थन दिया, उसी के चलते अखिलेश यादव प्रदेश के युवाओं को अपने पक्ष में करने का कोई अवसर चूक नहीं रहे हैं। वर्तमान में यूपी में २०.४१ लाख युवा वोटर हैं। युवा अखिलेश को मालूम है कि प्रदेश हो या देश परिवर्तन युवा ही ला सकते हैं। ऐसे में उनकी राजनीति युवाओं के इर्द-गिर्द केंद्रिंत होती जा रही है। अखिलेश लगातार अग्निवीर, बेरोजगारी, सरकारी नौकरी, शिक्षा और युवाओं से जुड़े हर छोटे-बड़े मुद्दे पर प्रदेश और केंद्र की सरकार को जमकर घेर रहे हैं।
यूपी में १० सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हैं। इसमें ५ सीटें समाजवादी पार्टी की ही हैं, जिनमें ४ सीटें लोकसभा में जीत के बाद से खाली हुई हैं। अखिलेश यादव इस चुनाव में जीत के लिए सबसे ज्यादा फोकस युवाओं पर कर रहे हैं। इसी क्रम में उनके निर्देश पर समाजवादी पार्टी के युवा संगठनों द्वारा बीती ९ अगस्त क्रांति दिवस से १० सितंबर तक प्रदेशव्यापी छात्र, नौजवान पीडीए जागरूकता अभियान आयोजित किए गए। इस अभियान में कुछ प्रमुख बातों पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया। जैसे- वर्तमान सरकार छात्र-छात्राओं और नौजवानों की दुश्मन है। पढ़ाई महंगी है, नौजवान बेरोजगार है। महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार हो रहे हैं। निर्दोष युवाओं को जाति देखकर गोली से मारा जा रहा है। सपा सरकार में छात्र-छात्राओं के लिए लैपटॉप, कन्या विद्या धन जैसी तमाम योजनाएं थीं, जो आज वर्तमान सरकार ने उन्हें बंद करने का काम किया है। युवाओं को भरोसा दिया जा रहा है कि हर दुख-दर्द को दूर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रतिबद्ध है। कार्यकर्ताओं को संदेश दिया जा रहा है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है। नए मतदाताओं का नाम जोड़ने के लिए फॉर्म भरें।
लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने पीडीए के सहारे अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाया था, वहीं अखिलेश और इंडिया गठबंधन ने बीजेपी के संविधान बदलने की मंशा को लेकर जनता का जागरूक किया था। संविधान बचाने के अलावा अखिलेश ने अग्निवीर योजना की कमियों और युवाओं की दूसरी परेशानियों को मुख्य मुद्दा बनाया था। युवाओं के मुद्दों को उठाने का लाभ भी अखिलेश और इंडिया गठबंधन को मिला।
अखिलेश की कोर टीम में अनुभवी लोगों के साथ ही साथ युवा साथियों की अच्छी-खासी संख्या है। आनंद भदौरिया, अनुराग सिंह, जूही सिंह, सुनील साजन, उदयवीर, अभिषेक मिश्रा, संजय लाठर आदि युवा अखिलेश की टीम का अहम हिस्सा हैं, वहीं समाजवादी पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव में तमाम युवाओं को टिकट दिया गया। सपा के सांसदों की सूची देखेंगे तो उसमें आदित्य यादव, इकरा हसन, प्रिया हसन, अक्षय यादव, धर्मेन्द्र यादव, डिंपल यादव और स्वयं अखिलेश यादव इसमें शामिल हैं। अगर ये कहा जाए कि प्रदेश के युवाओं की पसंद समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। २०१२ के विधानसभा चुनाव में जब अखिलेश यादव ने चुनाव की कमान संभाली थी तो प्रदेश के युवा अखिलेश के साथ सड़कों पर उतर आए थे। उस चुनाव में समाजवादी पार्टी को ऐतिहासिक समर्थन प्राप्त हुआ था और पहली बार प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी तथा युवा अखिलेश मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। पार्टी की कमान संभालने के बाद से ही अखिलेश लगातार नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। २०१७ और २०२२ के विधानसभा चुनाव और २०१९ के आम चुनाव में उन्हें आशानुरूप नतीजे हासिल नहीं हुए, लेकिन २०२४ के लोकसभा चुनाव में यूपी में सर्वाधिक सीटें जीतकर अखिलेश ने जता दिया कि आने वाला कल उनका है। फिलवक्त वो युवाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। उपचुनाव के बाद उनका पूरा फोकस २०२७ के विधानसभा चुनाव पर टिक जाएगा। अब यह देखना अहम होगा कि अखिलेश प्रदेश के युवाओं को कितना अपने पाले में ला पाने में कामयाब होते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो वर्तमान प्रदेश सरकार की नीतियों से युवा नाराज हैं, अगर अखिलेश युवाओं तक सरकार की नाकामियों को पहुंचाने में सफल रहे तो २०२७ में वो भाजपा समेत सभी दलों पर भारी पड़ेंगे।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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