रोहित माहेश्वरी लखनऊ
यूपी में १० विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी की विपक्ष से लड़ाई तो बाद में होगी, इससे पहले टिकट को लेकर ही पार्टी के अंदर हो रही लड़ाई ने पार्टी के शीर्ष नेताअों की चिंता बढ़ा दी है। वैसे तो सभी दस सीटों पर दावेदारी के लिए रस्साकशी हो रही है, लेकिन बीजेपी नेताओं के बीच असली जंग कटेहरी और मिल्कीपुर सीट के टिकट को लेकर है। दोनों सीटों पर अपने चहेतों और करीबियों को टिकट दिलाने के लिए कई मंत्री और संगठन के बड़े पदाधिकारी भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को टिकट तय करने में दिक्कत हो रही है।
मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर टिकट के लिए मारा-मारी के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि इन दोनों सीटों पर चुनावी प्रबंधन की कमान खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाली है, इसलिए दावेदार अपनी जीत तय मान रहे हैं। वो अलग बात है कि कटेहरी और मिल्कीपुर के जातीय और चुनावी समीकरण बीजेपी के लिए मुफीद दिखाई नहीं देते। मिल्कीपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ओबीसी वोटर निर्णायक हैं, तो मुस्लिम मतदाता भी अहम रोल में हैं। इसी तरह कटेहरी सीट पर दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं, लेकिन मुस्लिम, ब्राह्मण, कुर्मी, निषाद वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। मिल्कीपुर सीट के सियासी वजूद में आने के बाद से बीजेपी सिर्फ दो बार ही जीत सकी है, जिसमें एक बार १९९१ और दूसरी बार २०१७ में जीती है।
कटेहरी विधानसभा सीट जिले की पुरानी विधानसभा सीटों में से एक है। इस सीट पर सबसे ज्यादा बार बसपा का कब्जा रहा है, लेकिन हाल फिलहाल में यहां सीधी लड़ाई सपा बनाम बीजेपी की दिखाई दी है। जातीय समीकरण की बात करें तो कटेहरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक संख्या अनुसूचित जाति के वोटरों की है। इसके बाद ब्राह्मणों की संख्या आती है। पिछले चार चुनाव का नतीजा देखें तो साल २००७ में बसपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद ने सपा प्रत्याशी जयशंकर पांडेय को हराया था, वहीं २०१२ के विधानसभा चुनाव में सपा के शंखलाल मांझी ने बसपा के लालजी वर्मा को हराया। २०१७ में बसपा के लालजी वर्मा ने भाजपा के अवधेश द्विवेदी को मात दी थी। वहीं २०२२ में बसपा से सपा में आए लालजी वर्मा ने एक बार फिर बीजेपी के अवधेश द्विवेदी को हराकर चुनाव जीत लिया।
बीजेपी में टिकट को लेकर मारा-मारी मची हुई है। मिल्कीपुर में एक पूर्व सांसद अपने एक करीबी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं तो कटेहरी सीट के प्रभारी बनाए गए एक मंत्री भी अपने चहेते को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाए हैं। संगठन के कई पदाधिकारी भी टिकट की लाइन में हैं।
कटेहरी विधानसभा में दावेदारों की बात करें तो उप-चुनाव को लेकर किसी पार्टी ने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन फिर भी दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। बीजेपी से पिछला दो चुनाव हार चुके अवधेश द्विवेदी इस बार भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद भी प्रमुख दावेदार हैं, क्योंकि कटेहरी में निषाद जाति के वोटरों की संख्या ठीक-ठाक है। कटेहरी में निषाद पार्टी की दावेदारी के अलावा भाजपा की ओर से भी आधे दर्जन नेताओं में भी टिकट की होड़ है।
मिल्कीपुर और कटेहरी दोनों सीटों पर टिकट पाने की दौड़ में कई ऐसे नेता शामिल हैं, जो लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे। टिकट को लेकर छिड़ी लड़ाई और खींचतान का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दावेदार आपस में ही एक दूसरे की पोल खोल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कटेहरी सीट पर टिकट को लेकर स्थानीय भाजपा इकाई दो फाड़ हो चुकी है। दोनों खेमों ने एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों का पिटारा भाजपा नेतृत्व के पास भेजा है। प्रदेश संगठन ने पिछले दिनों शिकायतकर्ताओं को प्रदेश मुख्यालय में बुलाकर उन्हें समझाया भी था। वहीं, अंबेडकर के दौरे पर गए संगठन के पदाधिकारियों ने भी उन्हें शांत रहने की नसीहत दी थी। इसके बावजूद उनके बीच रार जारी है। मिल्कीपुर सीट पर सीएम योगी के दौरों को लेकर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी यहां चाहें सौ बार आ जाएं, उसका कोई मतलब नहीं होगा। अवधेश प्रसाद ने दावा किया कि जितनी बार सीएम योगी यहां आएंगे। उतनी बार उनके एक हजार वोट कम होंगे और समाजवादी पार्टी का वोट बढ़ेगा। राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार, जातीय समीकरणों और पुराने चुनाव नतीजों के लिहाज से बीजेपी के लिए दोनों सीटें मुश्किल भरी मानी जाती है। ऐसे में देखना है कि सीएम योगी वैâसे बीजेपी के लिए जीत की इबारत लिखते हैं। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)