रोहित माहेश्वरी
लखनऊ
यूपी में पहले चरण में पिछले चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ। कम वोटिंग से भाजपा की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। भाजपा के रणनीतिकारों को लग रहा है कि कम वोटिंग से उसका ही नुकसान हो रहा है। पहले चरण के मतदान ने `इंडिया’ गठबंधन की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। आगामी २६ अप्रैल को यूपी में दूसरे चरण की आठ सीटों का मतदान है। इस चरण में `इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस चार-चार सीटों पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। इस चरण की सीटों पर पिछले चुनाव में भाजपा की बढ़त थी, लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है। भाजपा रालोद के साथ है और बसपा अकेले मैदान में है।
यूपी के दूसरे चरण ८ में से सात सीट पर भाजपा चुनाव लड़ रही है, जबकि बागपत सीट पर एनडीए गठबंधन में शामिल आरएलडी चुनाव लड़ रही है। वहीं `इंडिया’ गठबंधन में चार सीटों पर सपा और चार सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस गाजियाबाद, मथुरा, बुलंदशहर, अमरोहा सीट पर चुनाव लड़ रही जबकि सपा नोएडा, अलीगढ़, बागपत और मेरठ सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं। इस तरह `इंडिया’ गठबंधन में सपा और कांग्रेस की बराबर की साख दांव पर दूसरे चरण में लगी हुई है।
मेरठ लोकसभा सीट पर सपा ने सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। पिछली बार मेरठ सीट पर भाजपा ने बहुत मामूली वोटों से जीत दर्ज की थी, बसपा के याकूब कुरैशी ने राजेंद्र अग्रवाल को कांटे की टक्कर दी थी। इस बार भाजपा ने राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर अरुण गोविल को उतारा है। बसपा ने देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है। यहां सपा प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी की धड़कनें बढ़ा रखी हैं। भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन इस बार उसकी जीत के रास्ते में सपा की साइकिल मजबूती से खड़ी है।
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा ने दो बार सांसद रहे वीके सिंह का टिकट काटकर अतुल गर्ग पर दांव लगाया है। वहीं गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के पाले में हैं। कांग्रेस ने यहां से डॉली शर्मा को टिकट दिया है तो बसपा से नंद किशोर पुंडीर मैदान में हैं। वीके सिंह के टिकट कटने के चलते माना जा रहा है कि ठाकुर समुदाय के बीच नाराजगी भी है, क्योंकि ठाकुर संगठन लगातार पंचायत कर भाजपा के खिलाफ वोटिंग की अपील कर रहे हैं। भाजपा पिछले तीन चुनाव से गाजियाबाद सीट जीत रही है, जिसके चलते इस बार मजबूत दावेदारी मानी जा रही है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी ने मुकाबले को टक्कर का बना दिया है।
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से भाजपा ने लगातार दो बार सांसद बन रहे डॉ. महेश शर्मा को जीत की हैट्रिक लगाने के लिए उतारा हैं। सपा ने महेंद्र नागर को उतारा है तो बसपा ने राजेंद्र सोलंकी को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। नोएडा सीट पर तीनों प्रत्याशी अलग-अलग जातियों से हैं। ऐसे में इस सीट पर लड़ाई दिलचस्प है, क्योंकि सपा ने गुर्जर-मुस्लिम-यादव समीकरण बनाने का दांव चला है तो बसपा ने ठाकुर-दलित समीकरण के सहारे जीत का ताना-बाना बुना है। नोएडा सीट पर ठाकुर मतदाता बड़ी संख्या में है, जो भाजपा के परंपरागत वोटर माने जाते हैं, लेकिन इस बार ठाकुरों की नाराजगी से बीजेपी की चिंता बढ़ी हुई है। जानकारों की मानें तो इस बार यहां सपा की साइकिल दौड़ सकती है।
बुलंदशहर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर भी पिछली दो बार से लगातार भाजपा का कब्जा रहा है। भाजपा ने एक बार फिर से भोला सिंह को मैदान में उतारा है तो बसपा ने नगीना सीट से सांसद गिरीश चंद्र पर दांव खेलकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। `इंडिया’ गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस ने बुलंदशहर सीट से शिवराम वाल्मीकि को उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। अगर `इंडिया’ गठबंधन प्रत्याशी बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा पाने में सफल रहा तो इस बार यहां कांग्रेस जीत का झंडा गाढ़ सकती है। अमरोहा, मेरठ, अलीगढ़ और मथुरा सीटों पर भी इंडिया गठबंधन ने जातीय समीकरणों का ध्यान में रखकर बड़े सोच विचार के साथ प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। `इंडिया’ गठबंधन के प्रत्याशियों के चलते भाजपा के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं, वहीं बसपा ने भी भाजपा की चिंता बढ़ा रखी है। भाजपा और बसपा को खासकर दलित वोटों का सहारा है। ऐसे में दलित वोटरों का बंटना तय माना जा रहा है, जिसका फायदा `इंडिया’ गठबंधन के प्रत्याशियों को मिलेगा। राजनीति के जानकारों की मानें तो इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन जितने सधे कदमों से आगे बढ़ रहा है, उससे यह साफ तौर पर दिखता है कि दूसरे चरण की अधिकतर सीटें `इंडिया’ गठबंधन की झोली में गिरेंगी।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)