रोहित माहेश्वरी
लखनऊ
प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होनेवाले उपचुनाव का कार्यक्रम जारी होने के साथ ही चुनावी जंग में कूदने वाले सभी सियासी दलों में हलचल तेज हो गई है। हालांकि, चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और बसपा ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी। वैसे तो मुकाबला बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए और सपा-कांग्रेस के `इंडिया’ गठबंधन के बीच है, लेकिन बसपा ने भी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का पैâसला कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, मैनपुरी की करहल, मिर्जापुर की मझवां, आंबेडकरनगर की कटेहरी, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट शामिल है। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं होंगे, जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें थीं।
सपा ने ७ सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है और दो सीटें (खैर और गाजियाबाद) कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं। उपचुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि २५ अक्टूबर है। सपा ने जैसे ही अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की, भाजपा भी अपनी सूची के लिए तैयार हो गई है। भाजपा ने कुछ दिनों पहले ही एक सीट पर तीन-तीन नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा था, जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है। भाजपा की लिस्ट में देरी होने की वजह निषाद पार्टी से सीट के बंटवारे का पेंच फंसा होना बताया जा रहा है। इन सबके बीच सपा ने न केवल काफी पहले प्रत्याशी घोषित किए, बल्कि कई सीटों पर उसके प्रत्याशी पर्चा भी दाखिल कर चुके हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मैनपुरी की करहल सीट से यादव परिवार के तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा है। तेज प्रताप यादव ने २१ तारीख को नामांकन दाखिल किया। इन उपचुनाव में मैनपुरी की करहल सीट एक अहम सीट है। इस सीट पर अखिलेश यादव ने ही जीत हासिल की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में कन्नौज लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी और फिर करहल सीट से इस्तीफा दे दिया था। अब पार्टी ने इस सीट से तेज प्रताप यादव पर भरोसा जताया है। यूपी की जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उन सीटों का गणित और समीकरण बीते जून में लोकसभा चुनाव में जिस तरह के नतीजे सामने आने के बाद काफी बदला हुआ दिखाई दे रहा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन पहले के मुकाबले कई सीटों पर मजबूत हुआ है, वहीं २०२२ से से कई सीटों पर बीजेपी कमजोर हुई है।
अखिलेश यादव अलग-अलग सीटों पर समीक्षा बैठकें कर रहे हैं और पार्टी नेताओं के साथ रणनीति बना रहे हैं। अखिलेश ने सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी और अन्य सीटों पर जीत के लिए समीकरण तैयार किए हैं। वहीं उपचुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन बरकरार रखने के भी संकेत दिए हैं। अखिलेश ने बीते दिनों कहा है कि पीडीए की रणनीति से बीजेपी फिर चुनाव हारेगी। यूपी में `इंडिया’ गठबंधन के भीतर सपा, तृणमूल और कांग्रेस शामिल हैं। बीजेपी की तरफ से जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव में जातियों को लामबंद करने की रणनीति के तहत `बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया था, fिजसका असर भी काफी देखने को मिला। इस नारे का असर था कि बीजेपी जाट वोट के अलावा दलित और यादव वोट बैंक में भी सेंधमारी कर पाई। वहीं यूपी उपचुनाव में हिंदुत्व के साथ राष्ट्रवाद के फॉर्मूले का परीक्षण करेगी। अभी भले ही सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात उलझी हुई हो, लेकिन सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत हुई है। कहा ये जा रहा है कि सपा कांग्रेस को दो की बजाय तीन सीटें दे सकती है। असल में दोनों युवा नेता सुलझे हुए हैं और सीट बंटवारे से लेकर तमाम दूसरे मुद्दों पर सकारात्मक रुख बनाए रहते हैं, जो अच्छी बात है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि `इंडिया’ गठबंधन उपचुनाव में एनडीए पर भारी पड़ेगा। उसकी वजह लोकसभा चुनाव में `इंडिया’ गठबंधन का शानदार प्रदर्शन और आंकड़ा माना जा रहा है। एनडीए बनाम `इंडिया’ गठबंधन की लड़ाई में नतीजे किसके पक्ष में रहेंगे ये तो २३ नवंबर को पता चलेगा। फिलवक्त, सपा ने चुनाव प्रचार, प्रबंधन और तमाम दूसरे मोर्चों पर लीड ले रखी है।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)