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उत्तर की उलटन-पलटन : मंडी के `अंगना’ में मुश्किल में कंगना! … भाजपा के स्थानीय नेताओं की बगावत ने खड़ी की मुश्किलें

श्रीकिशोर शाही

इसमें कोई शक नहीं कि फिल्मी सितारों का ग्लैमर आम जनता के सिर चढ़कर बोलता है। पिछले तीन दशकों की राजनीति में फिल्मी सितारों ने बॉलीवुड से पॉलिटिक्स में खूब छलांग लगाई है। राजनीतिक दलों ने भी उनकी लोकप्रियता को भुनाने और अपनी सीटों का नंबर बढ़ाने के लिए उन्हें चुनावी मैदान में उतारने का सिलसिला शुरू कर दिया। इसका नतीजा भी अच्छा रहा। सितारों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने १९८४ में हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज को इलाहाबाद में धूल चटा दी थी। इसी तरह दूसरे सुपरस्टार राजेश खन्ना ने १९९१ में नई दिल्ली सीट से लालकृष्ण आडवाणी को कड़ी टक्कर दी थी। बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा भी पटना से दो बार भाजपा के टिकट पर जीतकर लोकसभा में पहुंच चुके हैं, फिलहाल वे आसनसोल से टीएमसी के सांसद हैं। विनोद खन्ना, हेमा मालिनी, वैजयंती माला, धर्मेंद्र और सनी देओल जैसे बड़े सितारों ने भी चुनाव में खूब धूम मचाई है। हालांकि, मनोज तिवारी जैसे सितारे २००९ में अपने पहले राउंड में गोरखपुर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और बुरी तरह से हारे थे। सितारों की लोकप्रियता की इसी कड़ी में अब भाजपा ने मंडी से कंगना रनौत को उतारा है। मंडी कंगना का होम टर्फ है। हिमाचल में भाजपा का अच्छा नेटवर्क है, ऐसे में भाजपा मान कर चल रही है कि मंडी सीट पर कंगना आसानी से जीत जाएंगी और लोकसभा में उनकी सीट पक्की है। वैसे मंडी से जो खबरें छनकर बाहर आ रही हैं, उससे झांसी की रानी की चुनावी राह में कांटे नजर आ रहे हैं। कंगना की राह में ये कांटे विपक्षी उम्मीदवार नहीं बिछा रहे, बल्कि उनकी अपनी पार्टी भाजपा के बागियों ने ही कंगना की जीत मुश्किल कर दी है।
बॉलीवुड की फिल्मी पिच पर तो कंगना ने खूब खेल दिखाया है, पर राजनीति की पिच अलग होती है। मंडी के राजनीतिक गलियारों से जो खबरें छनकर बाहर आ रही हैं, उनके अनुसार कंगना को भाजपा के एक-दो नहीं, बल्कि पूरे आठ स्थानीय नेताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है। ये बागी कंगना को टिकट दिए जाने से नाराज हैं। उनका कहना है कि वे बरसों से पार्टी के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं और अब पार्टी ने पैराशूट से मंडी में उम्मीदवार उतार दिया है। ऐसे में वे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। बताया जाता है कि भाजपा के एक पूर्व सांसद के बेटे समेत आठ बागियों ने कंगना को हराने की ठान ली है। हाल ही में इन भाजपा नेताओं ने एक बंद कमरे में मीटिंग की और कंगना को हराने की रणनीति बनाई। इसमें प्रमुख नाम पूर्व भाजपा सांसद महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर सिंह का है। इसके अलावा पूर्व प्रदेश भाजपा महासचिव राम सिंह और पूर्व विधायक किशोरी लाल सागर भी कंगना के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। वैसे इन नेताओं की बगावत कोई नई बात नहीं है। २०२२ के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर इन तीनों नेताओं ने अपनी ही पार्टी भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया था और चुनाव में निर्दलीय खड़े हो गए थे। उनके इस कदम से पार्टी की बहुत किरकिरी हुई थी और उसे हार का सामना करना पड़ा था। अब इन बागियों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कंगना के खिलाफ भी हार का जाल बनाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हाल ही में महेश्वर सिंह की नाराजगी दूर करने उनके घर पहुंचे थे और उन्हें मनाने की कोशिश की थी। वैसे लगता नहीं कि जयराम ठाकुर को इसमें कोई सफलता मिली। असल में भाजपा के स्थानीय नेताओं का गुस्सा जायज है। उनका कहना है कि राज्य भाजपा दूसरे दलों से आए नेताओं को ज्यादा तरजीह दे रही है और अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर रही है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी को दिया उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। हिमाचल में लाहौल स्पीति विधानसभा उपचुनाव भी हो रहा है और वहां भाजपा ने कांग्रेस के बागी रवि ठाकुर को टिकट दे दिया है। ऐसे में वहां से भी बगावत की खबर है। ऐसे में लगता है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा के बागी इस बार पार्टी का खेल खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

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