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एंटोन एंड्रिव बने अनंतानंद नाथ …काशी में रूसी नागरिक ने ली गुरु दीक्षा

उमेश गुप्ता / वाराणसी
भारतीयों के जनमानस से बाहर निकल चुकी हिंदू धार्मिक परंपरा ‘गुरु दीक्षा’ अब विदेशों में फैल रही है। धार्मिक नगरी काशी में आज एक विदेशी नागरिक ने गुरु दीक्षा ली। रूस के सेंटपीट्सबर्ग से वाराणसी आए एंटोन एंड्रिव (४१) अब अनंतानंद नाथ हो चुके हैं। हिंदू रीति-रिवाज से नामकरण के साथ ही उनका गोत्र भी कश्यप कर दिया गया है। वाराणसी के शिवाला स्थित वाग्योग चेतना पीठम् में बाकायदा अनुष्ठान और विधि-विधान से उन्होंने मां तारा की तांत्रिक दीक्षा ली। गुरुदेव महामहोपाध्याय प्रोफेसर वागीश शास्त्री के शिष्य वाग्योग और चेतना पीठम् के अध्यक्ष पंडित आशापति शास्त्री ने उन्हें दीक्षा मंत्र दिया।
रूसी नागरिक को मंत्र देने वाले वाराणसी के पंडित आशापति शास्त्री ने कहा कि मुस्लिम और क्रिश्चियन देशों के भी लोग गुरुदीक्षा ले चुके हैं। पूरी दुनिया में यूक्रेन और रूस से दीक्षा लेने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। गुरु वागीश शास्त्री और मेरे द्वारा अब तक ८० देशों के १५ हजार विदेशी शिष्यों को दीक्षित कर दिया गया है। उनमें से एक एंटोन एंड्रिव की गुरु दीक्षा आज पूरी हुई है। पंडित आशापति ने बताया कि एंटोन ने बहुत सी अदृश्य शक्तियों को महसूस किया था। इसके बाद ये वाराणसी आए और कहा कि मुझे मंत्र दीक्षा लेनी है। उन्होंने कहा कि दीक्षा लेने की परंपरा १९८० में शुरू की गई थी। तब से लगातार यह काम चल रहा है। गुरु ईश्वर से जुड़ने का सबसे बेहतर मार्ग माना जाता है। जो व्यक्ति पात्र है उसी को दीक्षा दी जाती है।

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