कलाकृति

तरुवर की छाया दर्शाए अपनी कला
पेड़ कच्चे-पक्के-खट्टे-मीठे
फल उग्गा कर अपनी कला का बखान करें
फूल-पत्ते खुशबू बिखराए
दिखती उनकी कला
तित्तली रंग बदल कर दिखाए अपनी कला
मधुमखी शहद बना कर अपनी कला उजागर करे
भंवरा अपनी कला दिखाए
चुपके से आए कलियों पे मंडराए
मनमौजी हवा अपनी मतवाली
चाल से अपनी कला फैलाए
पक्षी कला दिखाए
दूर गगन की सैर कर आए
मौसम की कला निराली है
कहीं कलि से फुलवाड़ी महकाए
कभी पत्ते झड़ जाए
कहीं बर्फ बिछाए
कभी बरखा गिराए
आदमी अपनी कलाकृति से कमाए,
पाए दौलत, शोहरत और जीने का सामान
हर जान की अपनी कलाकृति है महान।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

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