सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में म्हाडा की इमारतों के पुनर्विकास के लिए विकास नियंत्रण नियमावली ३३ (७) के तहत एक एफएसआई की नीति है। उसके अनुसार सुधारित नीति घोषित करने का आश्वासन बजट सत्र में राज्य सरकार ने दिया था, परंतु उस आश्वासन पर अमल नहीं हो रहा है, जिससे इमारतों का पुनर्विकास अधर में लटक गया है। परिणामस्वरूप मुंबई की ३८८ खतरनाक इमारतों में रहनेवाले ३८ हजार निवासियों की जान पर खतरा मंडराने लगा है।
मुंबई में म्हाडा की ३८८ इमारतें और पुरानी १४ हजार उपकर प्राप्त इमारतों की पुनर्विकास नीति को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा समय पास करने का विरोध शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी ने समय-समय पर किया है और आंदोलन भी किया है। पिछले वर्ष भारत माता सिनेमा घर के बाहर आक्रोश आंदोलन किया था। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के विधिमंडल गट नेता अजय चौधरी द्वारा विधानसभा में बार-बार आवाज उठाने के बाद सरकार ने इन इमारतों के पुनर्विकास हेतु नई नीति घोषित करने का आश्वासन दिया था, परंतु आश्वासन पर अमल नहीं हो रहा है। इस संदर्भ में शिवसेना विधायक अजय चौधरी ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी स्मरण पत्र भेजा है।
स्मरण पत्र में क्या लिखा है
मुंबई इमारत मरम्मत व पुनर्रचना मंडल में ३८८ इमारतों के पुनर्विकास के लिए फरवरी २०२२ में नीति घोषित की गई थी। इस नीति पर निवासियों से आपत्ति और सुझाव मांगे गए थे। निवासियों के सुझाव के अनुसार, सरकार ने सुधारित नीति के परिपत्र भी जारी किए थे, परंतु सरकार द्वारा जारी की गई पुनर्विकास नियंत्रण नियमावली ३३ (२४) के अनुसार जो सहूलियत दी गई है, उसके अनुसार एफएसआई में कमी होने के कारण म्हाडा की इमारतों का पुनर्विकास करने में अड़चनें आ रही हैं।
वर्तमान नीति के अनुसार, म्हाडा पुरानी इमारतों का पुनर्विकास नहीं कर सकती है। इसलिए इस नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इस आशय का सवाल बजट सत्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विधायक अजय चौधरी ने उठाया था। अजय चौधरी के सवाल के जवाब में सरकार ने सदन में ३३ (२४) की नीति के संदर्भ में पुनर्विचार करते हुए नई नीति घोषित करने का आश्वासन दिया था। इसके साथ ही ३७ (७) में सहूलियत देने की नीति घोषित करने के संदर्भ में भी चौधरी ने जनवरी और अप्रैल महीने में संबंधित विभाग से पत्र व्यवहार किया था। इसके बाद भी इस नीति में विलंब हो रहा है, जिसके कारण निवासियों में असंतोष पैâल रहा है। इसलिए सरकार सदन में दिए गए आश्वासन को तत्काल पूरा करे, ऐसा अजय चौधरी ने अपने स्मरण पत्र में उल्लेख किया है।