सामना संवाददाता / मुंबई
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र की भाजपा सरकार ने रेलवे भर्ती की सुरसुरी छोड़ी है। लोकसभा में रेलवे में रिक्त पदों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वीकार किया कि ढाई लाख पद रिक्त हैं। देश में बेरोजगारी का मुददा गंभीर है। ऐसे वक्त में प्रशासन द्वारा रेलवे में भर्ती का शिगूफा छोड़कर युवाओं को प्रभावित करने का प्रयास एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्र सरकार की ओर से किया जा रहा है। संसद में रेल मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया, रेलवे विभाग में करीब २ लाख ५० हजार पद रिक्त हैं, जिसमें सब से ज्यादा नौकरियां सुरक्षा विभाग में उपलब्ध है। इन रिक्त पदों को भरने के लिए प्रशासन ने उम्मीदवारों का चयन शुरू कर दिया है।
लोकसभा में पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए रेल मंत्री ने हाल की परिस्थिति बताते हुए कहा, १ जुलाई २०२३ तक कुल २,६३,९१३ पद रिक्त पाए गए हैं। जिसमें से ३० जून २०२३ तक १,३६,७७३ उम्मीदवारों का चयन किया गया है, जिसमें से १,११,७२ रेलवे सुरक्षा के है। मंत्री के अनुसार इन उम्मीदवारों को प्रशिक्षण दे कर, उन्हें तैयार किया जाएगा, जिसके बाद उनकी नियुक्ति की जाएगी। इस कार्य में करीब एक से डेढ़ साल का समय लगेगा।
रेल मंत्री ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कुल २,६३,९१३ पद रिक्त हैं, जिसमें २,६१,२३३ अराजपत्रित वर्ग में और २,६८० राजपत्रित वर्ग में विभाजित हैं। सब से ज्यादा ३२,४६८ पद उत्तर रेलवे में रिक्त हैं, जिसके बाद, पूर्व रेलवे में २९,८६९ पद रिक्त हैं, पश्चिम रेलवे में २५,५९७ और मध्य रेल्वे में कुल २५,२८१ पद रिक्त हैं। मार्च २०१९ में, रेलवे द्वारा खाली पदों को भरने की घोषणा की गई थी, जिसे कोरोना महामारी के कारण टाल दिया गया था।
बेरोजगारी है डिप्रेशन की वजह
देश में बेरोजगारी, निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण विषय है, जो कि देश में अन्य समस्याओं जैसे क्राइम, डिप्रेशन का कारण हो सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश में, ढाई लाख नौकरियां क्या पर्याप्त होंगी। क्या देश में बेरोजगारी का स्तर घटाने के लिए यह मददगार होगा? क्योंकि जैसा कि रेल मंत्री ने बताया इस प्रक्रिया में करीब डेढ़ साल का समय लगेगा, ऐसे में आने वाले दिनों में बेरोजगारी बढ़ने की संभावना है।