सामना संवाददाता / मुंबई
एडवर्टाइज़िंग स्टैण्डर्ड काउंसिल ऑफ़ इंडिया (एएससीआई) ने आज अपनी वार्षिक शिकायत रिपोर्ट (एनुअल कंप्लेंट्स रिपोर्ट) प्रकाशित की। रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023-25 में आपत्तिजनक पाए जाने वाले विज्ञापनों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
एएससीआई ने 10,093 शिकायतों की जांच और 8,299 विज्ञापनों की छान-बीन की। अधिकांश उल्लंघन भ्रामक दावों से संबंधित थे, जिनका अनुपात 81% है। इसके बाद 34% अनुपात के साथ वैसे विज्ञापन थे, जिनमें हानिकारक स्थितियों या उत्पादों को प्रचारित किया गया था (उन्हीं विज्ञापनों को अनेक आपत्तियों के लिए संसाधित किया जा सकता है)। संसाधित विज्ञापनों में डिजिटल विज्ञापनों का अनुपात 85% था, जिनमें अनुपालन दर कम यानी 75% पायी गई, जिसकी तुलना में प्रिंट और टीवी में विज्ञापनों की अनुपालन दर 97% है। इससे उपभोक्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा के विषय में गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं, जैसा कि पिछले साल भी उजागर किया गया था। संसाधित किए गए विज्ञापनों में से 94% विज्ञापन एएससीआई द्वारा स्वतः चयनित किए गए थे।
एएससीआई द्वारा चयनित विज्ञापनों में से 49% मामले में विज्ञापनकर्ताओं द्वारा कोई प्रतिवाद नहीं किया गया। आखिरकार 98% मामलों में सुधार की जरूरत हुई, क्योंकि उनमें एएससीआई की संहिता का उल्लंघन पाया गया था।
इस साल, हेल्थकेयर सबसे अधिक उल्लंघन करनेवाले सेक्टर के रूप में सामने आया है। उल्लंघन के सभी मामलों में इसका अनुपात 19% है, जिसके बाद अवैध ऑफशोर सट्टेबाजी (17%), पर्सनल केयर (13%), परंपरागत शिक्षा (12%), खाद्य और पेय (10%), और रियल्टी (7%) का स्थान है। सबसे ज्यादा उल्लंघनकर्ता वर्ग में बेबी केयर एक नया समावेश है, जिसमें बेबी केयर मामलों का 81% योगदान इन्फ्लुएंसर प्रमोशन का है।