सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए अशोक चव्हाण के लिए आगामी विधानसभा चुनाव से पहले खतरे की घंटी बज रही है। अशोक चव्हाण को भरोसा है कि उनके गृह क्षेत्र नांदेड़ में बीजेपी को बड़ी जीत मिलेगी। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले ही नांदेड़ में बड़े बदलाव होते दिख रहे हैं जिससे अशोक चव्हाण को लगातार दो बड़े झटके लगे हैं। एक तो उनके दोस्त पूर्व मंत्री डीपी सावंत और उनके क्षेत्र के पूर्व मेयर सहित तमाम नेता उनका साथ छोड़ रहे है, तो वहीं उनके परिवार में भी फूट पड़ गई है। उनके बहन-बहनोई नाराज हैं। वहीं उनकी भतीजी उनका साथ छोड़ सकती है।
दोस्त हुआ दूर
हाल फिलहाल में बदले समीकरण के कारण अशोक चव्हाण का साथ आए कई लोग अब उनका साथ छोड़ रहे हैं। अशोक चव्हाण के करीबी और पूर्व राज्य मंत्री डीपी सावंत ने कांग्रेस से टिकट मांगा है। इसके अलावा चव्हाण के साथ गए पूर्व मेयर जयश्री पावड़े, पूर्व डिप्टी मेयर सतीश देशमुख, पूर्व जिला परिषद सदस्य मनोहर शिंदे ने कांग्रेस से उम्मीदवारी मांगी है। अशोक चव्हाण के मित्र डी. पी. सावंत दो बार कांग्रेस विधायक और एक बार राज्य मंत्री रहे।
परिवार से विद्रोह
बीजेपी सांसद अशोक चव्हाण के परिवार से भी बगावत देखने को मिल रही है। अशोक चव्हाण के बहनोई भास्कर राव पाटील खतगांवकर की बहू मीनल खतगांवकर ने चुनाव से पहले बीजेपी से बगावत की चेतावनी दी है। बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो भी क्या वह चुनाव लड़ेंगी? इसपर मीनल खटगांवकर ने साफ जवाब दिया कि हमने २०१९ और २०२४ लोकसभा के लिए पार्टी के जनादेश को स्वीकार कर लिया है। अगर इस बार भी पार्टी में उन्हें मौका नहीं दिया तो स्वतंत्र रूप से लड़ना तय है। डॉ. मीनल खटगांवकर अशोक चव्हाण की भतीजी हैं।