मुख्यपृष्ठनए समाचारएशिया का सबसे बड़ा टीबी अस्पताल बदहाल! साढ़े तीन वर्षों में हुई...

एशिया का सबसे बड़ा टीबी अस्पताल बदहाल! साढ़े तीन वर्षों में हुई केवल चार मुख्य सर्जरी

चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की कमी 
मरीजों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई के शिवड़ी में स्थित एशिया का सबसे बड़ा टीबी अस्पताल अपने ही हाल पर रो रहा है। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से मरीजों के इलाज पर संशय पैदा हो गया है। मनपा टीबी अस्पताल की कहानी यहीं नहीं रुकती है। एक आरटीआई में जानकारी दी गई है कि साढ़े तीन वर्षों में केवल चार मेजर सर्जरियां हुर्इं हैं। इसी तरह इस अवधि में ३,०२६ माइनर सर्जरियां हुर्र्इं हैं।
उल्लेखनीय है कि करीब १,२०० बेड वाले शिवड़ी अस्पताल की ओपीडी में रोजाना ३०० मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसके साथ ही अस्पताल में ८०० से ९०० भर्ती मरीजों का इलाज चल रहा है। हालांकि, यहां चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है, जिस कारण इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। इस अवस्था से न सिर्फ अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि इलाज करने वाले डॉक्टरों पर भी टीबी का साया मंडरा सकता है।
वर्ष वार सर्जरियां
आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठारी द्वारा मांगी गई जानकारी में अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शीतल आव्हाड ने बताया है कि साल २०२१ में ६१४, साल २०२२ में ७६९, साल २०२३ में १,०५१ और साल २०२४ मई तक कुल ५८८ माइनर सर्जरियां हुई हैं। साल २०२३ में केवल चार मेजर सर्जरियां की गई थीं। कोठारी ने कहा है कि मनपा अपने डॉक्टरों को बारी-बारी से सर्जरी के लिए टीबी अस्पताल भेजती है। लेकिन मुझे लगता है कि टीबी होने के डर से डॉक्टरों की अनिच्छा के कारण कुछ समय से मेजर सर्जरियों को बंद कर दिया गया है। सर्जरी कराने के लिए मनपा ठेके पर कार्यरत चिकित्सकों को भी भेजती है। उन्होंने कहा कि ये भी देखने की जरूरत है कि क्या ऑपरेशन थिएटर व्यवस्थित है। ऑपरेशन थिएटर यदि व्यवस्थित है तो देरी का कारण क्या है।
काम का है बोझ
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते कई बार एक ही डॉक्टर को पूरे २४ घंटे की ड्यूटी करनी पड़ जाती है। अस्पताल में २ शिफ्ट में काम चलता है। एक शिफ्ट सुबह ९ बजे से शाम के ४.३० बजे तक है और दूसरी शाम ४.३० बजे से सुबह के ९ बजे तक होती है। डॉक्टरों की कमी के चलते कई बार एक ही डॉक्टर दोनों शिफ्ट की ड्यूटी करता है, जिससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
अस्पताल की कार्यशैली पर उठे सवाल
मुंबई में हर साल करीब ६०,००० हजार टीबी के मरीज आते हैं। इसमें बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान इत्यादि राज्यों से आनेवाले ही होते हैं। इससे पहले भी अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल उठ चुके हैं। अस्पताल परिसर में पैâली गंदगी समेत कई सवाल उठ रहे हैं।

अन्य समाचार