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आर्थिक पचड़े में अटल सेतु! …पब्लिक को टोल का टेंशन, ठेकेदार को भारी वसूली का

एक चौथाई वाहन ही कर रहे हैं इस्तेमाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (अटल सेतु) पर अपेक्षित यातायात की तुलना में वास्तविक आंकड़े काफी कम साबित हो रहे हैं। मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) से मिली जानकारी के अनुसार अगस्त २०२४ में पुल पर प्रतिदिन औसतन केवल २४ हजार वाहन ही चल रहे थे, जबकि २०२१ के लिए ९० हजार वाहनों का अनुमान लगाया गया था। इस प्रकार अनुमान और वास्तविक उपयोग में ७० प्रतिशत का बड़ा अंतर देखने को मिला है। जिसके चलते अटल सेतू आर्थिक पचड़े में पड़ता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां मंहगे टोल होने से पब्लिक को टेंशन है, वही ट्रैफिक कम होने ठेकेदार को वसूली का टेंशन है।

भारी वाहनों के यातायात में बढ़त
गौरतलब है कि भारी वाहनों, जैसे ट्रक और बसों के यातायात में जनवरी से अगस्त २०२४ तक ७०० प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह कुल ट्रैफिक का केवल ७ प्रतिशत ही है, वहीं ९३ प्रतिशत ट्रैफिक में यात्री कारों के योगदान में मात्र ३१ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

टोल दरें है असली समस्या
असली समस्या पुल पर अत्यधिक टोल दरें और प्रमुख सड़कों से अपर्याप्त कनेक्टिविटी है। नई मुंबई से दक्षिण मुंबई आने-जानेवाले दैनिक यात्रियों के लिए ३७५ रुपए का टोल काफी महंगा साबित हो रहा है, जिसके कारण मिडिल क्लास के लोग वैकल्पिक मार्गों को प्राथमिकता दे रहे हैं। टोल दरों के कारण निजी वैâब सेवाओं पर निर्भर लोग भी इस पुल से गुजरने से कतराते हैं। टोल संग्रह के मामले में जनवरी से अगस्त २०२४ के बीच एमएमआरडीए ने ८० प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। जनवरी में कुल टोल संग्रह ८,६८,१३,३०० था, जो अगस्त तक बढ़कर १५,७६,४०,५६० हो गया। हालांकि, राजस्व में वृद्धि दर्ज हुई है फिर भी प्राधिकरण अपने लक्षित दैनिक ७०,००० वाहनों के आंकड़े से काफी दूर है।

समाधान की जरूरत
‘द यंग व्हिसलब्लोअर फाउंडेशन’ के जितेंद्र घाडगे का कहना है कि पुल की पूर्ण क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सरकार को निजी कारों के लिए टोल में ४० प्रतिशत की कटौती और टैक्सी व निजी वैâब सेवाओं के लिए टोल समाप्त कर देना चाहिए। इससे आम नागरिक भी इस पुल का लाभ उठा सकेंगे, अन्यथा इसका फायदा केवल संपन्न वर्ग और भारी वाहन मालिकों को ही मिल पाएगा।

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