एमएमआरडीए ने ताक पर रखे सारे नियम
सामना संवाददाता / मुंबई
भारत के सबसे लंबे समुद्री पुल अटल सेतु के लिए नई मुंबई में बनाए गए १२ हेक्टेयर के कास्टिंग यार्ड को काम शुरू करने से पहले महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) से अनिवार्य प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ था। यह जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त आधिकारिक दस्तावेजों से सामने आई है। अटल सेतु मुंबई और नई मुंबई को जोड़ने वाला २२ किलोमीटर लंबा पुल है। इसके निर्माण के लिए बनाए गए कास्टिंग यार्ड से वायु और जल प्रदूषण की संभावना थी। पर्यावरण निगरानी संस्था नेटकनेक्ट फाउंडेशन ने इस यार्ड के लिए एमपीसीबी की सहमति का विवरण मांगा था।
वनस्पति और जीव-जंतु के प्रभावित होने की आशंका
इस क्षेत्र में मैंग्रोव और कीचड़ से भरी वनस्पति और जीव-जंतु भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते थे। कास्टिंग यार्ड के काम में सीमेंट, रेत और स्टील जैसी निर्माण सामग्री का परिवहन और भंडारण शामिल था। कंक्रीट मिक्सिंग से समुद्र में अपशिष्ट पदार्थ गिरने की संभावना थी। इसके लिए एमपीसीबी की मंजूरी और निगरानी की आवश्यकता थी, लेकिन एमपीसीबी ने अपने जवाब में कहा कि सहमति का रिकॉर्ड उसके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।
एमपीसीबी के खिलाफ हो कार्रवाई
नेटकनेक्ट के निदेशक बीएन कुमार ने कहा कि यह बेहद परेशान करने वाला है। उन्होंने एमपीसीबी और मुख्यमंत्री से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पांच साल तक काम चलने के बाद भी जांच और निगरानी में विफल रहने के लिए एमपीसीबी के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। ईपीसी फर्म एलएंडटी ने सितंबर २०१९ में अटल सेतु के लिए पहला स्पैन कास्ट किया था। एमएमआरडीए द्वारा प्रस्तुत पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) के अनुसार, इस परियोजना के लिए बड़ी मात्रा में मुरुम, एग्रीगेट और रेत जैसी उत्खनित सामग्री की आवश्यकता थी, जिसे साइट पर भंडारण करना होता था।