मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा को शनिवार की रात एसटीएफ की मदद से पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। पहले उसे हिरासत में लिया गया था। विजय मिश्रा विभूति खंड स्थित एक नामी होटल में ठहरा हुआ था। उसके खिलाफ दो महीने पहले तीन करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का मुकदमा प्रयागराज के अतरसुइया थाने में एक फर्नीचर व्यवसायी ने दर्ज कराया था। बताते हैं कि उसे इसी सिलसिले में पकड़ा गया है। शनिवार को विजय मिश्रा किसी काम से लखनऊ आया हुआ था। रात करीब ११ बजे लखनऊ एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस की टीम ने उसे हिरासत में ले लिया। इस संदर्भ में प्रयागराज पुलिस ने बताया कि थाना धूमनगंज पुलिस द्वारा अधिवक्ता उमेश पाल हत्याकांड में वांछित अभियुक्त विजय कुमार मिश्रा निवासी ककरा थाना सराय इनायत गंगानगर कमिश्नरेट प्रयागराज के संबंधित मुकदमा अपराध संख्या ११४/२३ धारा १४७/ १४८/ १४९/ ३०२/३०७/५०६/३४/१२०बी भा॰द.वि. व ३ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व ७ सीएलए एक्ट व ३ (२) वी एससी/एसटी एक्ट को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है।
विजय मिश्रा के जूनियर अधिवक्ता हिमांशु कुमार ने बताया कि कुछ लोग इनोवा कार से आए थे। उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताया और फिर विजय को अपने साथ लेकर चले गए। पुलिस के मुताबिक, विजय मिश्रा पर तीन करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने के आरोप में २३ मई को अतरसुइया थाने में लकड़ी व्यवसायी सईद अहमद ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि उधारी के सवा लाख रुपए मांगने पर विजय ने उसे धमकी देते हुए रंगदारी मांगी थी। विजय पर विभिन्न जिलों में कुल सात मुकदमे दर्ज हैं।
अतीक के दूसरे वकील खान शौलत हनीफ ने पुलिस कस्टडी के दौरान आरोप लगाया था कि उमेश पाल के कचहरी से निकलने के दौरान विजय मिश्रा ने अशरफ और असद को अपने फोन से इंटरनेट कॉल के जरिए सूचना दी थी। बताते हैं कि इसके बाद ही २४ फरवरी को अतीक-अशरफ के गुर्गों ने उसका पीछा किया और घर के बाहर उमेश पाल और उसके दो गनर को गोलियों से भून डाला था। विजय मिश्रा अतीक के भाई अशरफ के मुकदमे देखता था। कुछ मामलों में वह अतीक का भी कानूनी सलाहकार रहा और मुकदमे लड़ा। विजय मिश्रा को अतीक का बेहद करीबी माना जाता रहा है। चर्चा यहां तक थी कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद साबरमती जेल में बंद अतीक का जो ऑडियो वायरल हुआ था, उसमें बात विजय मिश्रा से ही हो रही थी। इसमें दावा किया गया था कि उमेश पाल हत्याकांड अभी नहीं कराना चाहिए था, क्योंकि उस वक्त विधानसभा का सत्र चल रहा था।