सरकारी अधिकारियों पर फूटा हार का ठिकरा
सामना संवाददाता / लखनऊ
लोकसभा चुनाव २०२४ के परिणाम भाजपा के लिए बेहद चौंकानेवाले रहे, उसमें भी उत्तर प्रदेश की जनता ने तो भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से नकारा है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के एक महीने के बाद भी अभी तक उत्तर प्रदेश में हार के पीछे के कारणों को जानने में आलाअधिकारी लगे हुए हैं। योगी सरकार में भाजपा विधायकों और मंत्रियों द्वारा भितरघात, सरकार और पार्टी के बीच तालमेल की कमी, राज्य सरकार के अधिकारियों का असहयोग, भाजपा उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच दूरी तथा दलित व ओबीसी वोटों का भाजपा से दूर होना, भाजपा के टास्क फोर्स के मुताबिक ये वे कारण हैं, जिनकी वजह से यूपी में बीजेपी की हार हुई। इस टास्क फोर्स में ४० नेता शामिल हैं। भाजपा आलाकमान के साथ साझा की गई यह रिपोर्ट यूपी की ८० लोकसभा में से ७८ सीटों के दौरे के आधार पर बनाई गई है। इस रिपोर्ट के बाद अब लोगों की नजरें इस बात पर हैं कि आखिर पार्टी क्या एक्शन लेगी। इस बीच योगी आदित्यनाथ सरकार ने १२ जिलों के डीएम बदल दिए हैं।
बता दें कि इनमें से ज्यादातर ऐसे जिलों के हैं, जहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इन जिलों में बांदा, संभल, सहारनपुर, मुरादाबाद, हाथरस, सीतापुर, श्रावस्ती और बस्ती शामिल हैं। पार्टी के टास्क फोर्स ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पार्टी के भीतर असंतोष और जिला प्रशासनिक मशीनरी से सहयोग की कमी दो प्रमुख कारक थे। इसी वजह से लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा। साल २०१९ के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने ६२ सीटें जीती थीं, जबकि इस बार उसकी सीटें घटकर ३३ रह गर्इं। टास्क फोर्स द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के तुरंत बाद,सीएम योगी आदित्यनाथ ने १२ जिलाधिकारियों (डीएम) का तबादला कर दिया। इनमें से ज्यादातर उन जिलों से थे, जो २०२४ के चुनावों में भाजपा की हार वाले निर्वाचन क्षेत्रों में आते हैं। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों के असहयोग को भी जिम्मेदार माना है। कई जिलों में वोटों की गिनती जो हुई है, उसमें बैलेट पेपर में भाजपा को झटका लगा है। इससे संकेत मिलता है कि सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा को पसंद नहीं किया है। इसके अलावा खराब नतीजे की तीन और वजहें सामने आई हैं। एक वजह है टिकटों के बंटवारे में खामी।
असंतोष का कारण क्या?
टास्क फोर्स के निष्कर्षों से अवगत एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, हमारी कश्ती भी वहां डूबी जहां पानी कम था’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा का पतन नियति से कम और पटकथा से अधिक था।’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा के पतन के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक आंतरिक असंतोष भी था, जिसे मुख्य रूप से टिकट वितरण और ठाकुर समुदाय के भीतर असंतोष के मुद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।’