सामना संवाददाता / मुंबई
बढ़ते तापमान के साथ-साथ मुंबईकरों को पानी की आपूर्ति करने वाली झीलों में पानी का भंडारण तेजी से कम हो रहा है। इन झीलों में अब मात्र २२.६१ फीसदी पानी का भंडारण बचा है। ऐसे में मुंबईकरों को भविष्य में जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। यदि ऐसे ही तापमान हाई रहा तो मानसून सीजन तक झीलों के रिजर्व पानी भी कम पड़ेगा। मनपा अधिकारियों के अनुसार, मई माह में पानी कटौती को लागू करने की आवश्यकता होगी। मनपा इस पर निर्णय लेने का विचार कर रही है। मनपा के अनुसार, मुंबईकरों को पानी का उपयोग संभाल कर करना होगा।
बता दें मनपा के पास इन झीलों में आपातकाल के लिए रिजर्व कोटे का पानी और बचा हुआ करीब तीन लाख २७ हजार २८९ मिलियन लीटर पानी बचा हुआ है। हर साल जून के मध्य तक रिजर्व पानी का उपयोग शुरू किया जाता है। लेकिन इस बार रिजर्व पानी का उपयोग मई से ही शुरू हो जाएगा।
जल विभाग के अनुसार, मानसून आने तक झीलों में उपलब्ध पानी और रिजर्व पानी की योजना बनाकर ही पानी की आपूर्ति करनी होगी। हालांकि, मई माह में झीलों में जल भंडारण की समीक्षा के बाद आपूर्ति की योजना बनाई जाएगी। उस समय की परिस्थिति के अनुसार, पानी में कटौती करनी है या नहीं, कितने प्रतिशत? आदि पर निर्णय लिया जाएगा। जल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुछ दिनों बाद स्विमिंग पूल में पानी के उपयोग को प्रतिबंधित किया जाएगा, इस पर निर्णय लिया जाएगा।
सात झीलों से होती है पानी सप्लाई
मुंबईकरों को सात झीलों अपर वैतरणा, मोदक सागर, तानसा, मध्य वैतरणा, भातसा, विहार और तुलसी से प्रतिदिन ३,९५० मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति की जाती है। पिछले वर्ष संतोषजनक वर्षा के कारण झीलों में पूरे वर्ष के लिए पर्याप्त जल भंडार था। लेकिन भीषण गर्मी के चलते पानी का स्टॉक तेजी से कम होने लगा है। फिलहाल, अपर वैतरणा में ९१ हजार ३०० मिलियन लीटर और भातसा में एक लाख ३७ हजार मिलियन लीटर पानी बचा है। २० अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक, सातों झीलों में रिजर्व पानी के साथ कुल ३ लाख २७ हजार २८९ करोड़ एमएलडी पानी है। हालांकि, ऐसी संभावना है कि गर्मी के मौसम के कारण झीलों में पानी वाष्पित हो जाएगा और भंडारण तेजी कम हो जाएगा।