मुख्यपृष्ठखबरेंनमस्ते सामना : लेखक की अभिलाषा

नमस्ते सामना : लेखक की अभिलाषा

चाह नहीं साहित्य सम्मान से
हे प्रभु नवाजा जाऊं!
चाह नहीं नोबेल प्राप्त कर
कलम की धार पर इतराऊं
चाह नहीं फेसबुक पर
लाइक कमेंट्स को ललचाऊं
चाह नहीं पुस्तक छपवाकर
वरिष्ठ लेखक मैं कहलाऊं
चाह नहीं सहयोग राशि के बूते
साझा संकलन में नजर आऊं
चाह नहीं प्रशंसा सुनकर
आत्ममुग्ध हो इठलाऊं
चाह नहीं मठाधीश बन
नवोदितों को बहकाऊं
मेरी रचनाओं को संपादक जी
अपनी पत्रिका में दे देना स्पेस।
जिसे झेल व्यथित हो पाठक
लेखक का हो जाए मूड फ्रेश
– विनोद कुमार विक्की

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