मुख्यपृष्ठस्तंभअवधी व्यंग्य : चुनावी चकल्लस

अवधी व्यंग्य : चुनावी चकल्लस

एड. राजीव मिश्र मुंबई

जब से चुनाव के घोषणा भई है जिला से लइके गाँव-जवार तक एकय चर्चा है कि यहि चुनाव मा टिकस केहिके मिली अउर चुनाव में के बिजई होई। जहाँ देखो दुइ-चार चुनावी बइठकबाज अड्डा जमाये बैठि रहे हैं। एक से बढ़िके एक चुनावी भविष्यवक्ता भी आपन बीजीनिस के हवा देइ रहे हैं। अब अइसने एक बइठक में मनोहर सबसे तेज-तर्रार चुनावी अंदाज में लफ्फाजी कइ रहे हैं। देखो यहि बार अगर गोपलचौथ पार्टी से गोहराउज गुरु के टिकस मिला तो जीत पक्की समझो। कौन गोहराउज गुरु भइया? अरे उहै अपने फरीदपुर वाले, देखत नही हौ जब आवत हैं एक साथ दस ठो बिलैक कलर के इसकार्पियो खड़ी होत है तो जलवा होइ जात है। बीस ठो तो गनर साथ में रहत हैं। पर भईया सुनि थ उ गोपलचौथ पाल्टी छोड़ि के गोपलउवल पार्टी में चला गये हैं। देखो उ कउनउ पाल्टी में चले जाय पर जीत तो उनकर पक्की है। हाँ, केउ बतावत रहा कि उनकरे ऊपर चालीस मुकदमा चलि रहा है। चोरी, लूट, मार-पीट, अपहरण अजर हत्या तक के मुकदमा अदालत में है। अरे छोड़व ई सब अफवाह है अफवाह, जे नेता जनता के सेवा में लागि रही ओकर हाथ करिया के करियय रही। अब ई नही समझ में आवत है कि गोपलउवल पार्टी के धुरंधर नेता गजोधर के का होइ अगर उनकर पाल्टी गोहराउज गुरु के अपने पाल्टी से टिकस देई तो गजोधर भइया के तो पत्ता गुल होइ गवा। इतना दिन से राजनीति करत रहें अउर पार्टी उनका किनारे कइ दिहिस ई तो बहुत बड़ा वाला बलंडर होइ गवा। अरे, तू कउने दुनिया में हौ भइया? आज सुबह-सुबह परचा भरे के ठीक पहिले गजोधर नेता गोपलचौथ पार्टी के हाथ पकड़ि लिये हैं। अइसन है का? अउर का, आज कालि पार्टी अउर प्रत्याशियन में इतना घालमेल है कि समझि नाय परत है कि कवन असली है कवन नकली। अब द्याखो का होत है? काहो मनोहर! कहीं अइसा न होय यहि दुइ जन के लड़ाई में तीसरका न मैदान मारि जाए। आखिर में चुनाव के दिन वोट के साथ दारू अउर नोट के भी जबरदस्त टक्कर भई। कहीं-कहीं शारिरिक दंगल के साथ कुश्ती भी भई अउर अंत मा गजोधर और गोहराउज गुरु के लड़ाई मा मिट्ठू भईया मैदान मारि लिहें अब एक दुइ महीना मा गजोधर अउर गोहराउज गुरु अपनी अपनी पाल्टी में घर वापसी कइ लेइहैं।

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