मुख्यपृष्ठस्तंभअवधी व्यंग्य : फैशन

अवधी व्यंग्य : फैशन

एड. राजीव मिश्र
मुंबई
आज कालि पैâशन के अइसन जमाना आइ गवा है कि मेहरिया पहिनावा से मरद लगि रही है अउर मरद पहिनावा से मेहरिया। फैशन तो पूछौ न, आज कालि लड़िका लोग के बार लड़की नियर अउर लड़किन के बार लड़िका नियर हुइ गवा है अउर तो अउर ओहि बार मा रिकिम-रिकिम के रंग-रोगन होइ रहा है उ अलग। सहरन मा अइसन-अइसन सैलून खुलि गवा है जवन बार सेट करै मा बरवै झौसिं देत हैं। यही फैशन के दौड़ मा आजकल दुलहा-दुलहिन बियाह से जियादा सजय-संवरय पे ध्यान देइ रहें हैं। केतना बियाह में चउके पे बइठे के पहिले तक दुलहा सैलून मा फेशियल कराय रहें हैं। आज यही बीमारी के शिकार खेलावन होइ गए जब सब रिश्तेदार अउर गाँव-जवार के लोग बरात जाए के तैयारी मा दुआर पे पहुँच गयें अउर दुलहा गायब। दुलहा के जीजा अलगै मुँह टेढ़ किहें खड़े हैं, बताओ गजब है, इहाँ गाँव भर में नेहछू घुमि गवा, कुलि मेहरारू बरात बिदा करै आई गयी अउर दुलहा के पतय नही है। दुलहा के फूफा अलगै फू-फा कई रहे हैं। देखो खेलावन लड़िकन के लगाम हमेशा टाइट रखो नही तो मौका पे अइसने इज्जति के इलाहाबाद होइ जाई। दूर के बरात है केहू के दुआर पे समय के पहिले पहुँच जाए के चाही। १० मिनट अउर देखे के बाद खेलावन सैकिल उठाये अउर बजार की ओर पूरी ताकत से निकरि गए और पाँच मिनट के अंदर झिनकू के सैलून पे पहुँचि गए तो ऊहाँ लड़िका बार सेट कराइ रहा। खेलावन के गुस्से में देख लड़िका के पसीना छुटि गवा तब्बो हिम्मत कइके बोला, बप्पा हमरा बियाह है हमरौ शौक है। अइसन है हाली से चलो नही तो अबहिये चंडूल करवाय देब, दुइ मिनट में शौक के सहारनपुर कइ देब। आखिर में माहौल के गरमी देखि लड़िका पैदल उ वेग से चला कि खेलावन के सैकिल से पहिले पहुँचि गवा। कइसौ बरात लड़की वाले के घर पहुँची। दुआर पूजा के बात जब जयमाल के समय आवा तब पता चला कि लड़की तो पार्लर से अबहीं अइबे नही किहिस। एक घंटा के अगोरे के बाद खेलावन दूनौ पंडित के बुलाये और जयमाल देइ के बोले, अइसा है पंडित जी आप दुनहू जन लड़िका के लइके ब्यूटीपार्लर चले जाओ अउर उहीं पर ई दूनौ के बियाह कराय देव अउर उहीं से सीधा घर निकरि जाओ दक्षिणा के हिसाब बाद में होई पहिले ई बियाह के बुलंदशहर होइ ओहिके बाद पानी पियब। जइसे दुलहा के साथ दूनौ पंडित चले बैंड बाजा वाले बजावै लगें…आज मेरे यार की शादी है।

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