मुख्यपृष्ठस्तंभअवधी व्यंग्य : सत्रह के पहाड़ा

अवधी व्यंग्य : सत्रह के पहाड़ा

एड. राजीव मिश्र मुंबई
हर गाँव मा एक न एक बिद्वान मनई पुराने जमाने के दसर्इं पास मिलि जात हैं, अउर ई मनईन में एक आदत पावा जात है और उ है बात-बात में, का जमाना आई गवा है अब तो बीए पास लड़िका के भी सत्रह के पहाड़ा याद नही है। एक जमाना रहा जब हम एक रट्टा में बीस तक पहाड़ा दौड़क्किया पढ़ि जात रहे। भले ई खुदय सत्रह के पहाड़ा याद करे के चक्कर मा १७० डंडा खाये हैं, पर बात अइसन करिहैं कि जइसे इनके सत्रह के पहाड़ा सुनाए के बाद डिप्टी साहब इनका स्कूल के हेडमास्टर बनाय दिए रहें। चाहे गाँव के कउनउ लड़िका आईआईटी टॉप कइ दीन्ह होय पर अगर ओहिका सत्रह के पहाड़ा नही आवत है तो उ लड़िका इनकी नजर मा बिल्कुलय बेकार है। केउ चर्चा भी कइ रहा रहय तो ई अलगइ रायता पैâलाइ देइहैं, रहय देव केतना बड़ा इंजीनियर हैं, पता है एक बार सत्रह के पहाड़ा पूछे बताइ नही पाए रहें। कउनउ जोर-जुगाड़ लगाय के पास होइ गवा होइ। यहि तरह के मनई सत्रह अउर ओनइस के पहाड़ा याद कइके यहि ताक में रहत हैं कब मौका मिलय अउर कउनउ लड़िका के ओहिके बाप के सामने पहाड़ा पूछि के ओहि लड़िका के ओकरे बाप से कुटवाय के खुद के बिद्वान साबित कइ लेय। ई लोग अंग्रेजी के चार चीज के स्पेलिंग याद कइके खुद के शेक्सपियर से कम नही समझत हैं। गाँव में कउनउ परिवार शहर में रहत होय अउर ओकर लड़िका गलती से पहाड़ा के टेबल कहि दिहिस तो ओहि लड़िका के बाप के ई मानय पर मजबूर कई देइहैं कि यहि लड़िका के ऊपर पढ़ाई के कुल खर्चा बरबाद होइ गवा। अइसन बिद्वान मनई दुइ-तीन ठो चिरई-सुग्गा के सवाल भी रटे रहत हैं जे पहाड़ा में न फसें उ स्पेलिंग में अउर जे स्पेलिंग मा न फँसय ओहिका चिरई-चुनमुन के सवाल में उठाइ के पटक देव। अइसने एक बिद्वान जब गाँव के सब लड़िकन के परेशान कइ दिहिन तब कुल लड़िका मिलि के उनके जूता में बिच्छी रखि दिए फिर का बिच्छी के अइसन डंक लगा कि बिद्वान तब से लइके आज तक एक्कउ लड़िका से न तो पहाड़ा पूछे अउर न चिरई-चुनमुन के सवाल।

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