मुख्यपृष्ठस्तंभअवधी व्यंग्य : स्टार परफॉर्मर

अवधी व्यंग्य : स्टार परफॉर्मर

एड. राजीव मिश्र
मुंबई

अब तो ई बात के बहुत दिन भवा जब गाँव के पाठशाला मा हर सनिच्चर के बालसभा होत रहय। हमरे इस्कूल मा किरसी बाबू साहब बालसभा के इंचार्ज रहें। किरसी बाबू साहब के मतलब जे कृषि-विज्ञान के मास्साब रहें उनही के सब लड़िका किरसी बाबू साहब कहत रहें। बालसभा के टॉप परफॉर्मरन में पूरे इस्कूल मा तीनय नाम रहा, रमेश, झुलई अउर फुलगेनवा। ई तीनौ किरसी बाबू साहब के खास बिद्यार्थी रहें, ओइसे तो ई तीनौ पढ़ाई मा गोबरय रहें पर रमेशवा के बाबू बिरहा के गवइया, अब सुबह-शाम घर मा रियाज के असर रमेशवा पर भी होइबे करी। झुलइया बचपनय से नौटंकी के सौखीन रहा अउर तो अउर नौटंकी के कुड़कुड़िया अउर नगाड़ा भी झुलई मुँहइ से बजावत रहें। फुलगेनवा बहुतै धुरंधर गवइया रही पर ओहिके गाना एक्कय आवत रहे। एक सनिच्चर के किरसी बाबू साहब छूट्टी पर रहें अउर उनके जगह गंगा बाबू साहब बालसभा के आयोजन किहिन। सबसे पहिले रमेशवा बिरहा सुनाइस, तब तक तो बाबू साहब शांत रहे। जइसय झुलई के नंबर आवा ओहिके अंदर डाकू बिक्रम के आत्मा उतरि गय रही। झुलई तुरतय पाठ बोलय चालू कय दिहिस, नाम बिक्रम मेरा काम डाके है…डाकू गुज्जर मेरा पक्का सरदार है…कुड़ुक…कुड़ुक…घम… कुड़ुक…कुड़ुक…घम… कुड़कुड़ कुड़कुड़… घम…घम…घम। इतना सुनतय गंगा बाबू साहब के अंदर मानो ज्वालामुखी फुटि परा, लेय कइनी के डंडा जवन मारि मारे, तीन दिन तक झुलई सोझे बईठ नही पाइस। सबसे अंत मा फुलगेनवा के नंबर आवा। चल रे फुलगेनवा खड़ी हो, आज का सुनइबी? फुलगेनवा शुरू होइ गई…बड़ा परसान किहिस रे ससुरे में सजनवा…गवनवा जब हम पहिले गइली ना…आ आ आ आ आ… यहि के बीच बाबू साहब के डंडा चलि चुका रहे। पर समझि में नही आवत रहे कि फुलगेनवा सुर लागइ रही है कि डंडा के प्रभाव से करुण रस में डूबी है। आखिर गंगा बाबू साहब के दबंग सुभाव से इस्कूल के तीन भावी सुपर इस्टार के करियर लगभग डूबि गवा। वैâसउ बालसभा खतम भई, लेकिन ओहि दिन से आज तक तीनौ स्टार परफॉर्मर सनिच्चर के इस्कूल नही आए।

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