अरुण कुमार गुप्ता
लोकसभा चुनाव के बीच उमस भरी गर्मी के बाद चल रही ठंडी हवाएं मऊ की जनता को राहत तो दे रही हैं, लेकिन मऊ की राजनीति का सियासी पारा ओमप्रकाश राजभर के लिए कहीं से भी राहत देता नहीं दिखाई दे रहा है। घोसी लोकसभा सीट से अपने बेटे को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद राजभर ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। यह सीट सुभासपा के लिए नाक का सवाल इसलिए भी बनी है, क्योंकि पूर्वांचल के जिन २८ जिलों में ओमप्रकाश राजभर अपने `प्रभाव’ का दम भरते हैं, उनमें से घोसी सीट को वो अपने लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। यही कारण है कि टिकट बंटवारे के समय राजभर ने भाजपा से यह सीट न सिर्फ अपने लिए मांगी, बल्कि अपने बेटे को यहां से प्रत्याशी भी बनाया। अब बेटे और पार्टी की नाक बचाने के लिए ओमप्रकाश राजभर घोसी लोकसभा में रात-दिन एक किए हुए हैं। खुद को सूबे का सबसे ताकतवर मंत्री बताने वाले ओमप्रकाश राजभर अपनी ताकत का पूरा प्रयोग करते हुए घोसी में दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, इतना सब करने के बाद भी यह सीट उनके लिए मुश्किल बनी हुई है। अपने बेटे की जीत को लेकर आश्वस्त ओमप्रकाश राजभर ने मऊ में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए जनता से कुछ सवाल पूछे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और राजभर इसके लिए ट्रोल किए जा रहे हैं। दरअसल, मऊ में जनसभा को संबोधित करते हुए ओमप्रकाश राजभर ने अचानक से वहां मौजूद जनता से कुछ सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि क्या बसपा की सरकार केंद्र में बन सकती है? इस पर जनता ने जवाब दिया- `नहीं’। लेकिन जैसे ही उन्होंने अगला सवाल पूछा कि क्या सपा की देश में सरकार बन सकती है? तो जनता में से किसी ने कहा कि हां बन सकती है। इसे सुनकर ओमप्रकाश राजभर के चेहरे का रंग उतर गया।
मतदान का बहिष्कार
रेलवे अंडर पास की समस्या दूर न होने से नाराज कौशांबी के सिराथू विधानसभा के हिसामपुर माढो गांव के ग्रामीणों ने दिल्ली-हावड़ा अटसरांय कठवा पुल के पास प्रदर्शन और नारेबाजी करते हुए मतदान के बहिष्कार की घोषणा की। ग्रामीणों ने इस संबंध में मतदान का बहिष्कार करने से संबंधित स्लोगन और नारे लिखे पोस्टर भी लगा दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हिसामपुर माढो गांव से राष्ट्रीय राजमार्ग, अजुहा आने वाले लोगों को बरसात के महीने में काफी दिक्कत होती है। आने-जाने के लिए मात्र एक रास्ता रेलवे अंडर पास होकर है। बरीपुर, सांखा, भैरमपुर, भड़ेहरी, हिसामपुर माढो, राजातारा, श्री का पुरवा, बनियन का पुरवा, अवध का पुरवा सहित कई दर्जनों गांव के लोगों का आने जाने का यही एक मात्र रास्ता है। बरसात के दिनों में या हल्की बारिश होने के बाद अंडर पास में कमर तक पानी भर जाता है। इससे लोगों को १० किलोमीटर घूमकर दूसरे रास्ते से आना पड़ता है। बड़ी संख्या में लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे पटरी पार करके इस पार आते हैं। इसके चलते कई लोगों की जान भी जा चुकी है। इसकी शिकायत कई बार सांसद, विधायक और उपमुख्यमंत्री से की गई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं होता है तब तक वह मतदान करने नहीं जाएंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ग्रामीणों की धमकी का कितना असर होता है।
अनुप्रिया पटेल की घेराबंदी
इस बार लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव काफी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं। इसी के तहत उन्होंने कई लोकसभा सीटों पर नामांकन के ऐन मौके पर भी उम्मीदवार बदल दिए हैं। इसी कड़ी में उन्होंने मिर्जापुर लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बदलकर एनडीए उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल की मजबूत घेराबंदी कर दी है। इस सीट पर सपा ने भदोही से बीजेपी के सांसद रमेश बिंद को चुनाव मैदान में उतार दिया है। पहले सपा ने यहां राजेंद्र बिंद को प्रत्याशी बनाया था। मिर्जापुर लोकसभा सीट पर मोदी युग शुरू होने के बाद से अपना दल की अनुप्रिया पटेल का कब्जा है। वह एनडीए का हिस्सा हैं और पिछले दस सालों से मोदी सरकार में मंत्री हैं। इससे पहले साल २००९ में इस सीट पर सपा के बाल कुमार पटेल ने जीत दर्ज की थी। साल २००९ में हुए लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर लोकसभा सीट पर सपा के बाल कुमार पटेल को २,१८,८९८ वोट हासिल हुए थे। दूसरे नंबर पर बसपा के अनिल कुमार मौर्य रहे। उन्हें १,९९,२१६ वोट मिले।साल २०१४ में यहां अनुप्रिया पटेल ने बसपा के समुद्र बिंद को दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी की मजबूत घेराबंदी के कारण अनुप्रिया पटेल की राह काफी मुश्किल लग रही है।