अरुण कुमार गुप्ता
लोकसभा के चुनाव प्रचार में प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपनी सफलता के लिए काफी मेहनत की। इसके साथ ही प्रत्याशियों के भाई-बहन, बेटे-बेटी और परिजनों ने भी चुनाव प्रचार में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वाराणसी में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय चुनाव मैदान में सक्रियता से लगे हुए थे। इस बीच उनकी बेटी श्रद्धा राय अपने पिता के ऑफिस से लेकर मतदाताओं के बीच तक अपनी उपस्थिति बनाए हुई थीं। चंदौली से भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की पुत्री तारा अंकिता पांडेय अपने पिता के लिए पूरा दमखम लगार्इं तो सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह के भाई विनोद सिंह भी चुनावी मैनेजमेंट में पीछे नहीं रहे। गाजीपुर से सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत व नूरिया के साथ ही भतीजे विधायक शोएब अंसारी व उमर अंसारी जी-जान से लगे हुए थे। गाजीपुर से ही भाजपा के पारसनाथ राय की बेटी वंदना, बहू अनुराधा, पौत्री और बेटा आशुतोष राय भी पूरी सक्रियता से चुनाव मैदान में थे। घोसी लोकसभा से एनडीए के डॉ. अरविंद राजभर के लिए उनके छोटे भाई अरुण और बसपा के बालकृष्ण चौहान के लिए उनके पोते विक्रम कमर कसकर चुनाव मैदान में थे। इसी तरह से बलिया लोकसभा से सपा के सनातन पांडेय के लिए उनके इकलौते पुत्र रामेश्वर पांडेय जनसंपर्वâ से लेकर चुनाव का मैनेजमेंट संभाल रहे थे। राबट्र्सगंज सीट से अपना दल (एस) की रिंकी कोल के लिए उनके भाई अमन कोल पूरी ताकत झोंके हुए थे। लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की पत्नियां भी चुनाव मैदान में किसी से कमतर नहीं थीं। बलिया से भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर की पत्नी डॉ. सुषमा शेखर शुरू से ही पति के लिए मतदाताओं के बीच सक्रिय रहीं। मतदान नजदीक आते देख घोसी सीट से सपा प्रत्याशी राजीव राय की पत्नी निकिता राय भी मतदाताओं के बीच सक्रिय हुर्इं। राबट्र्सगंज सीट से सपा प्रत्याशी छोटेलाल खरवार की पत्नी मुनिया देवी और भाई जवाहर लाल खरवार दमखम लगाए हुए थे। इसी तरह से मिर्जापुर से अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल के साथ ही उनके पति व प्रदेश सरकार के मंत्री आशीष पटेल पूरी ताकत लगाए हुए थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रत्याशियों के परिजनों की मेहनत कितनी रंग लाती है।
चुनाव में ‘आधी आबादी’ का फैंसी ट्रेंड
पूर्वांचल के सियासी समर में `आधी आबादी’ भी मैदान में थी। संख्या भले ही गिनती की हो, लेकिन इसमें केंद्रीय मंत्री से लेकर पहली बार चुनाव में कदम रखने वाली सबसे युवा महिला नेता भी लोकसभा चुनाव में उतरी थीं। बात महिलाओं की हो रही हो तो पैâशन स्टेटमेंट की बात होना भी लाजिमी है। मौजूदा समय में जिस तरह से हैंडलूम की साड़ियां सोनिया गांधी, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी के बीच ट्रेंड कर रही हैं, वैसे ही पूर्वांचल की महिला नेताओं के बीच भी इस वक्त हैंडवोवन कॉटन, जूट और खादी सिल्क की साड़ियां ट्रेंड में हैं। मिर्जापुर लोकसभा से प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल चुनाव प्रचार में हैंडलूम की साड़ियों में ही नजर आ रही थीं। कोई जनसभा हो, रैली हो या डोर टू डोर प्रचार अनुप्रिया पटेल हैंडलूम काटन, कॉटन सिल्क, खादी और खादी सिल्क ही नहीं संबलपुरी इकत, खंडुआ सिल्क, ब्लॉक पैटर्न सिल्क, कलमकारी, पाटनपटोला, बंगाली तांत साड़ियों में नजर आर्इं। साड़ी के साथ हल्की ज्वेलरी और शुरुआत दिनों में भले ही वो कॉटन के सूट में नजर आती थीं, लेकिन बाद में हैंडलूम की साड़ियों को अपना स्टेटस सिंबल बनाया। इसी तरह आजमगढ़ के लालगंज सीट से प्रत्याशी नीलम सोनकर खादी और कॉटन की साड़ियों में खास तौर से दिखती थीं। हैंडलूम में कॉटन सिल्क, खादी, लिनेन की साड़ियां भी इनकी पेâवरेट हैं। इससे इतर बीएचयू की इंग्लिश की प्रोपेâसर डॉ. इंदु चौधरी भी इस बार लालगंज सीट से ही उम्मीदवार हैं। बॉयकट हेयरस्टाइल पर इंदु चौधरी ज्यादातर सूट ही पहनती हैं। अपने पार्टी सिंबल के लिहाज से जनसभा, चुनाव प्रचार और रैलियों में उन्हें सपेâद कुर्ती-पायजामा या फिर सूट में देखा जा सकता था। वहीं पूर्वांचल में सबसे युवा महिला नेता प्रिया सरोज के परिधान में भारतीयता के साथ पैâशन का तालमेल भी दिखता था। जनता के बीच वो भी ज्यादातर सूट में नजर आती थीं। कभी-कभी कुर्ती के साथ जींस भी ट्राई कर लेती थीं। यह तो बात हुई महिला उम्मीदवारों के परिधानों की लेकिन ये महिला उम्मीदवार लोगों को प्रचार के दौरान कितना आकर्षित कर पाई हैं, यह परिणाम के बाद ही सामने आएगा।
६ सीटों पर अटकी बीजेपी की सांसें
उत्तर प्रदेश में बीजेपी मिशन ८० का दावा कर रही है, लेकिन पूर्वांचल की छह सीटें ऐसी हैं जिन पर पार्टी की सांसें अटकी हुई हैं। इन सीटों पर बहुत कम अंतर से पार्टी को जीत मिल पाई थी। ये सीटें हैं- मछली शहर, चंदौली, सुल्तानपुर, बलिया, बस्ती और कौशांबी, जहां बीजेपी हारते-हारते बच गई। २०१९ में सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे, जो सबसे मजबूत गठबंधन माना जाता था। इनमें मछलीशहर ऐसी सीट थी, जिस पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिली थी, इस सीट पर बीजेपी के बीपी सरोज सिर्पâ १८१ वोटों से जीते थे। चंदौली सीट भी उन सीटों में शामिल है, जहां बीजेपी कम अंतर से जीती थी। इस सीट पर बीजेपी के महेंद्रनाथ पांडेय ने १३,९५९ वोटों से जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने इस बार भी उन्हीं पर दांव लगाया है। सुल्तानपुर सीट पर बीजेपी ने दूसरी बार भी मेनका गांधी को उतारा है। इस सीट पर उनका मुकाबला सपा के राम भुआल निषाद और बसपा के उदराज वर्मा से है। पिछली बार २०१९ में मेनका गांधी यहां १४,५२६ वोटों के अंतर से जीती थीं। बलिया सीट पर भी बीजेपी के वीरेंद्र सिंह १५,५१९ वोटों से जीते थे। इस बार भाजपा ने नीरज शेखर को टिकट दिया है। बस्ती में बीजेपी के हरीश द्विवेदी को ३०,३५४ वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस बार फिर वो मैदान में हैं। कौशांबी सीट पर बीजेपी को ३८,७२२ वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस बार भी बीजेपी ने विनोद सोनकर को टिकट दिया है। ऐसे में अब यही कहा जा रहा है कि जीत के कम अंतर वाली इन ६ सीटों पर बीजेपी की सांसें अटकी हुई हैं।