अरुण गुप्ता
चुनाव के दौरान प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। देखने में यह भी आता है कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित खर्च सीमा से अधिक प्रत्याशियों द्वारा खर्च किए जाते हैं। इसमें भी प्रत्याशी झोल करते हुए दैनिक खर्च सीमा में हेर-फेर करते हैं। इसी हेर-फेर पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस बार १२१ टीमों का गठन किया है। चुनाव प्रचार के खर्च की राशि पर सहायक व्यय प्रेक्षक और व्यय अनुवीक्षण नियंत्रण भी नजर रखेंगे। प्रत्याशी और प्रशासन दोनों रजिस्टर में खर्च का ब्योरा दर्ज करेंगे। लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी अधिकतम ९५ लाख रुपए की धनराशि खर्च कर सकते हैं। आचार संहिता के नियमों की मॉनीटरिंग के लिए आठ मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट टीम (एमसीसी) मुख्यालय और विधानसभा स्तर पर सक्रिय हो गई हैं। इसके अलावा २४-२४ उड़नदस्ता और स्थायी निगरानी टीमें, २४ वीडियो निगरानी टीमें, आठ सहायक व्यय प्रेक्षक, १६ वीडियो अवलोकन टीमें, २४ लेखा टीमें, एक मीडिया प्रमाणन टीम के साथ ही एक व्यय अनुवीक्षण नियंत्रण एवं कॉल सेंटर की स्थापना की गई है। ये टीमें प्रत्याशियों के चुनाव खर्च से लेकर आचार संहिता उल्लंघन की हर गतिविधि पर नजर रखेंगी। प्रत्याशियों के खर्च का विवरण दर्ज करने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय भी एक रजिस्टर मेंटेन करेगा। चुनाव आयोग की यह टीम कितना कारगर साबित होगी यह तो भविष्य बताएगा।
मतदाताओं की मनुहार
चुनाव के समय अक्सर देखने में आता है कि कहीं-कहीं वोट प्रतिशत काफी कम रहता है। यह चुनाव के प्रति मतदाताओं की उदासीनता दर्शाता है। वोट प्रतिशत कम होने से नेताओं का टेंशन बढ़ जाता है। चुनाव आयोग का भी टेंशन बढ़ जाता है। चुनाव आयोग इसी टेंशन को दूर करने के लिए अब मतदाताओं को मतदान करने के लिए मनुहार पाती भेजेगा। इसी कड़ी में गोंडा के जिला निर्वाचन अधिकारी ने ३० मार्च से विशेष कार्यक्रम के जरिए लोगों को जागरूक करने का पैâसला किया है। इसके तहत जिन बूथों पर पिछले चुनाव में ५० प्रतिशत से कम मतदान हुए है, उस क्षेत्र के मतदाताओं के लिए अलग-अलग टीम घर-घर जाकर मतदान के लिए प्रेरित करेंगी और मनुहार पाती भी देगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग की यह पहल कितना कारगर साबित होती है और मनुहार पाती से मतदाता मतदान के प्रति कितने आकर्षित होते हैं।