अरुण कुमार गुप्ता
भारतीय जनता पार्टी ने बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर भले ही उनके पुत्र को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन बृजभूषण की हनक कम नहीं हुई है। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान विनय कुमार शुक्ला नाम के वकील उनका पैर पकड़े हुए नजर आए। यह दृश्य किसी ने कैमरे में कैद करके सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद क्षेत्र में बवाल मच गया। वहीं गोंडा बार एसोसिएशन ने शुक्ल के इस कृत्य को पूरे अधिवक्ता समाज का अपमान करार देते हुए उनकी सदस्यता निलंबित कर दी। हालांकि, उन्हें १४ दिन में अपना पक्ष रखने का मौका दिया है। विनय का अधिवक्ता की वेशभूषा में कैसरगंज सांसद का पैर पकड़ने को बार एसोसिएशन का अपमान माना गया है। तमाम अधिवक्ताओं को विनय का ये कृत्य नागवार लगा और आलोचना शुरू हो गई। इसे अधिवक्ता समाज का अपमान बताया गया। ऐसे में बार एसोसिएशन ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया। माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री रहे विनय कुमार शुक्ल ने फोटो वायरल होने के बाद सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मंच पर फोटो खिंचवाने के लिए गए थे, मगर भीड़ में धक्का-मुक्की से गिर गए थे। खैर! मामला कुछ भी हो, लेकिन इस घटना के बाद यह साबित होता है कि महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले के बाद चर्चा में आए बृजभूषण शरण सिंह की हनक अभी भी बरकरार है।
फिर मैदान में हिमांगी सखी
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने एक बार फिर हुंकार भरी है। उन्होंने वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने का एलान किया है। बताते चलें कि २ सप्ताह पहले अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने वाराणसी से हिमांगी सखी को चुनाव लड़ाने की घोषणा की थी। यह खबर मीडिया में सुर्खियां बनीं और पूरे देश में तेजी से फैल गई। इस बीच अचानक उन्होंने पैर पीछे करते हुए चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी। अब वे फिर चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में। महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने कहा कि पूरे देश में किन्नर समाज की स्थिति दयनीय है। किन्नर समाज के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं की गई है। किन्नर समाज अपनी बात लोकसभा और विधानसभा में कैसे रखेगा? किन्नर समाज का नेतृत्व कौन करेगा? किन्नर समाज की भलाई के लिए मैंने धर्म से राजनीति की ओर रुख किया है। निर्मोही अखाड़े की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी वाराणसी लोकसभा सीट से निर्दल प्रत्याशी के रूप में १४ मई को नामांकन करेंगी। हिमांगी ने पत्रकारों से बात की और सफाई देते हुए कहा कि अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने उन्हें प्रत्याशी घोषित किया था, मगर किसी कारण से उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया। अब निर्दलीय चुनाव लड़ूंगी।