मुख्यपृष्ठस्तंभबब्बा बोलो ना... कृपाशंकर के सामने दीवार बनीं श्रीकला!

बब्बा बोलो ना… कृपाशंकर के सामने दीवार बनीं श्रीकला!

अरुण कुमार गुप्ता

पूर्वांचल की जौनपुर लोकसभा सीट पर इस बार जहां मुकाबला दिलचस्‍प होने वाला है, वहीं सांसद बनने का सपना लेकर मुंबई से जौनपुर पहुंचे कृपाशंकर सिंह की राह काफी कठिन नजर आ रही है। बसपा इस सीट पर अपना कब्‍जा बनाए रखने के लिए जौनपुर की जिला पंचायत अध्‍यक्ष और बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को उम्‍मीदवार बनाकर कृपाशंकर सिंह के सामने दीवार खड़ी कर दी है। धनंजय के चुनाव लड़ने के अरमानों पर भले पानी फिरा हो, लेकिन पत्‍नी को चुनाव मैदान में उतारने के दांव ने पार्टियों में हलचल बढ़ा दी है तो चुनावी समीकरण भी बदलता दिख रहा है। जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्‍या भले सबसे अधिक है, पर अब तक इस सीट पर राजपूतों का ही दबदबा रहा है। उधर मुंबई के कारोबारी अशोक सिंह भी ताल ठोक रहे हैं। वे भी अंतत: राजपूत मतदाताओं में घुसपैठ कर कृपाशंकर सिंह का ही नुकसान करेंगे। धनंजय ने कृपाशंकर की उम्‍मीदवारी घोषित होते ही अपनी उम्‍मीदवारी का एलान कर दिया था। धनंजय को तब झटका लगा, जब जौनपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपहरण के मामले में सात साल की सजा सुनाकर जेल भेज दिया। अब श्रीकला के बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने के एलान से इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि क्‍या श्रीकला चुनाव जीत सकती हैं? सियासी जानकारों का कहना है कि श्रीकला जिला पंचायत अध्‍यक्ष हैं, लेकिन उनका खुद कोई राजनीतिक कद नहीं है। यह जरूर है कि श्रीकला धनंजय की सजा को सहानुभूति में तब्‍दील करने में कामयाब हो जाएं। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि कृपाशंकर सिंह का सांसद बनने का सपना वैâसे पूरा होगा।

जातीय चक्रव्यूह में घिरी भाजपा
पूर्वी उत्तर प्रदेश की बलिया और सलेमपुर लोकसभा सीट जातीय चक्रव्यूह में फंस गई है। यहां सपा और भाजपा ने अगड़े प्रत्याशी पर दांव खेला है। बसपा ने ओबीसी कार्ड खेला है। यहां से भाजपा ने अपना प्रत्याशी काफी पहले ही घोषित कर दिया था। पिछले दिनों सपा ने भी अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया। सपा ने इस सीट पर जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा है, ताकि ऐसी किलेबंदी हो कि भाजपा को हराया जा सके। सलेमपुर में बसपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राजभर बिरादरी के भीम राजभर को मैदान में उतारा है। बता दें कि सलेमपुर लोकसभा सीट में करीब १५ प्रतिशत दलित मतदाता हैं, जो निर्णायक स्थिति में रहते हैं। ऐसी ही स्थिति बलिया लोकसभा सीट पर की है। यहां भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाकर जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं, वहीं सपा ने ब्राह्मण बिरादरी के सनातन पांडेय को उम्मीदवार बनाकर ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतों के सहारे भाजपा के विजय रथ को रोकने की कोशिश में है। बसपा ने बलिया लोकसभा सीट से गाजीपुर के पूर्व सैनिक लल्लन सिंह यादव को उम्मीदवार बनाकर सपा के परंपरागत यादव मतदाताओं को अपने पाले में करने का दांव चला है। सलेमपुर में भाजपा से रविंद्र कुशवाहा दो बार सांसद रह चुके हैं, उन्हें तीसरी बार टिकट मिला है। लेकिन भाजपा में एक ऐसा वर्ग भी है, जो अंदरखाने उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर जिले में अपनी सत्ता काबिज रखना चाहता है। ऐसे में भितरघात रोकना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

भाजपा व अपना दल में फंसा पेंच
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर एनडीए की ओर से अभी तक उम्मीदवारों का एलान नहीं किया गया है। आधिकारिक तौर पर अनुप्रिया पटेल ने अभी स्वयं के उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की है। कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा और अपना दल एस के बीच में राबर्ट्सगंज सीट पर सामंजस्य नहीं बन पाया है। यही वजह है कि दोनों सीटों पर अभी तक उम्मीदवार तय नहीं हो सके हैं। राबर्ट्सगंज की सीट पर उम्मीदवारों के एलान न होने की वजह वर्तमान सांसद पकौड़ी लाल कोल भी हैं। भाजपा की सहयोगी अपना दल एस इस बार अपने कुनबे तक सीमित रह सकती है। २०१९ में मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज सीट पर अपना दल एस ने दावेदारी की थी। दोनों सीटों से अपना दल एस ने फतह किया था। कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा निषाद पार्टी की तरह राबर्ट्सगंज सीट पर प्रयोग करना चाह रही है। मतलब सिंबल कमल का हो और उम्मीदवार अपना दल एस का हो। हालांकि, इस पर अपना दल एस सहमत नजर नहीं आ रहा है। राबर्ट्सगंज सीट का प्रभाव मिर्जापुर सीट पर है। वर्तमान में पकौड़ी कोल यहां से सांसद हैं। मिर्जापुर सीट पर कोल वोटबैंक का प्रभाव है। अपना दल एस उनके टिकट को न काट पा रही है और न ही बदल पा रही है। यही वजह है कि दोनों सीटों पर पेंच अभी तक फंसा हुआ है। भाजपा भविष्य के संदेहों को देखते हुए इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। यहां अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों दलों में फंसा पेंच वैâसे सुलझता है।

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