मुख्यपृष्ठस्तंभबब्बा बोलो ना... : सांडों के बाद बाघ बने मुसीबत?

बब्बा बोलो ना… : सांडों के बाद बाघ बने मुसीबत?

अरुण गुप्ता

लोकसभा चुनावों की तारीखों के एलान के साथ राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं, साथ ही प्रशासनिक अमला भी चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पहले चरण में मतदान होना है, लेकिन यहां की ५ तहसीलों में वन्यजीवों की दहशत कायम है। बीते करीब ८ महीनों से बाघों के आतंक से सबसे अधिक प्रभावित कलीनगर तहसील के गांव हैं। कलीनगर के मथना जब्ती, बांसखेड़ा, जमुनिया, पुरैनी दीपनगर समेत दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां लगातार बाघों की मौजूदगी देखी जा रही है। ऐसी स्थिति में लोग यही कह रहे हैं कि अब तक तो राजनेता रूपी बाघों से हम लोग परेशान थे लेकिन अब वास्तविक बाघों से कौन बचाएगा। पहले से ही योगी बाबा के सांडों ने परेशान कर रखा है, अब बाघ के रूप में नई मुसीबत सामने आई है। वहीं इन इलाकों में कई ग्रामीण बाघ के हमले में अपनी जान भी गंवा चुके हैं। अगर पीलीभीत की बात करें तो शहर से तकरीबन १२ किमी दूर स्थित पंडरी व आसपास के गांवों में भी कई महीनों से बाघों का आतंक देखा जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में बाघों की मौजूदगी के बीच अधिक से अधिक मतदान वैâसे कराया जाएगा, यह अपने आप में एक अहम सवाल है और चुनाव आयोग के सामने चुनौती भी।
आजमगढ़ के आंकड़े
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की चर्चा हो और आजमगढ़ की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। २०१९ के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद समाजवादी पार्टी अपना गढ़ बरकरार रखने में कामयाब रही। अब फिर २०२४ में भी समाजवादी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने धर्मेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतार कर भाजपा का टेंशन बढ़ा दिया है। आजमगढ़ सीट का मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। सपा उपचुनाव में हारी सीट वापस पाने की कोशिश में है तो वहीं बीजेपी इस सीट को बचाने के लिए मैदान में है। आजमगढ़ में २०१९ के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को हराकर जीत दर्ज की थी। २०२२ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड लहर के बाद भी आजमगढ़ की १० में से १० विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी ने जीत ली। अखिलेश यादव के विधानसभा सदस्य चुने जाने के कारण उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद २०२२ में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर से दिनेश लाल यादव निरहुआ को अपना प्रत्याशी बनाया तो समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ३,१२,७६८ मत पाकर विजयी घोषित हुए थे। वहीं सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ३,०४,०८९ मत पाकर दूसरे नंबर पर रहे। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ८,६७९ वोटों से चुनाव हार गए। २०२२ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर समाजवादी पार्टी की हार का कारण बनने वाले शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली को समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद भेजकर मुस्लिम मतों को अपनी ओर लाने की कोशिश की है। ऐसी स्थिति में अब यही कहा जा सकता है कि आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के रास्ते का रोड़ा हट गया है और उसकी राह आसान हो गई है।

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