सामना संवाददाता / मुंबई
वर्तमान समय में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। खराब हवा के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। अब एक शोध से पता चला है कि प्रदूषित हवा शरीर में सूजन का कारण बनती है। इससे हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस पृष्ठभूमि में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हृदय रोग के मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
अमेरिका के साल्ट लेक सिटी में इंटरमाउंटेन हेल्थ के शोधकर्ताओं द्वारा यह शोध किया गया है। यह शोध शिकागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया। शोध से पता चला है कि बढ़ते प्रदूषण के बाद हृदय रोग के रोगियों में सूजन के मार्कर सीसीएल २७ और आईएल १८ में वृद्धि हुई है। साथ ही यह भी पाया गया है कि बिना हृदय रोग वाले रोगियों में यह वृद्धि नहीं होती है। हिंदुस्थान में हृदय रोग से मृत्यु दर अधिक है, इसलिए यह शोध देश के लिए महत्वपूर्ण है। इस समय देश में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। कई शहरों में पीएम २.५ सूक्ष्म कणों का स्तर तय सीमा से ऊपर दर्ज किया जा रहा है। वायु प्रदूषण से हृदय रोग के मरीजों का खतरा बढ़ रहा है। हृदय रोग के मरीज पर्यावरणीय परिवर्तनों से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए शरीर में होने वाले बदलाव उनके लिए खतरनाक हो जाते हैं। इस शोध में हृदय रोग से पीड़ित ४४ मरीजों और बिना हृदय रोग वाले ३५ लोगों पर अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि उच्च प्रदूषण स्तर वाले दिनों में हृदय रोग के रोगियों में सूजन का स्तर बढ़ गया वहीं बिना हृदय रोग वाले व्यक्तियों में यह बदलाव नहीं देखा गया।
फेफड़ों से सीधे दिल तक पहुंचते हैं वायु प्रदूषक
पल्मोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन (प्योर) फाउंडेशन के निदेशक डॉ. संदीप सालवी ने कहा कि प्रदूषण हृदय रोग के रोगियों को अधिक जोखिम में डालता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर वाले मरीजों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। इसके विपरीत, लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। वायु प्रदूषक सीधे फेफड़ों से हृदय तक पहुंचते हैं और गंभीर प्रभाव डालते हैं इसलिए बढ़ते प्रदूषण के बाद हृदय रोग के मरीजों को अधिक सावधान रहना चाहिए।