मुख्यपृष्ठनए समाचारप्राथमिक विद्यालय का बुरा हाल...लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जा रहा एमडीएम

प्राथमिक विद्यालय का बुरा हाल…लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जा रहा एमडीएम

मंगलेश्वर त्रिपाठी / जौनपुर

सरकार ने सबके साथ, सबके विकास के फार्मूले पर ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण योजनाएं चलाया है और उसका शत-प्रतिशत पालन करने के लिए अधिकारियों को सख्त हिदायत भी दिया है, लेकिन क्षेत्र के एक कम्पोजिट प्राथमिक विद्यालय पर सरकार की योजनाओं को ताख पर रखते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसमें विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
महिलाओं को धुआं न लगे या कोई अन्य परेशानी न हो, जिसके लिए सरकार उज्जवला गैस योजना लागू की है, ताकि महिलाएं लकड़ी के चूल्हे पर खाना न बनाएं। प्राथमिक विद्यालय में मध्यान्ह भोजन के लिए गैस चूल्हे पर भोजन बनाने का निर्देश है। बावजूद इसके विकास खण्ड शाहगंज सोंधी के अंतर्गत स्थित कम्पोजिट प्राथमिक विद्यालय मनेछा में मध्याह भोजन (एमडीएम) लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं, उमस भरी भीषण तपिश में रसोइयों से उक्त प्राथमिक विद्यालय पर आसमान के नीचे चिलचिलाती धूप में लकडी के चूल्हे पर खाना बनाने के लिए रसोई महिला को प्रधानाध्यापक ने मजबूर किया है। शासन के आदेश का जमकर माखौल उढ़ाया जा रहा है, जबकि विद्यालय में विधिवत रसोईघर बना हुआ है।
सूत्र बताते हैं कि रसोई महिलाएं रसोई घर में ही गैंस से खाना बनाना चाहती हैं, लेकिन प्रधानाध्यापक अपनी तानाशाही के चलते कड़ी धूप में मध्याह्न भोजन बनाने के लिए विवश करते हैं। उक्त प्राथमिक विद्यालय पर लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने से उठने वाले धुएं से बच्चों के सेहत व रसोईयों पर बुरा असर पड़ रहा है, फिर भी प्रधानाध्यापक का दिल नहीं पसीज रहा है। हालांकि, अधिकारियों की ओर से विधिवत निरीक्षण किया जाए तो उक्त विकास खंड के कई विद्यालयों में यह खामियाजा देखने को मिल सकता है। विद्यालय में हो रही लापरवाही को लेकर अभिभावकों ने कई बार हेडमास्टर से शिकायत भी की, फिर भी कोई सुधार नहीं आ रहा है।
अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि बर्तन के अभाव में जमीन व कपड़ों पर रोटी रखा जा रहा है, जिससे बच्चों में इंफेक्शन हो सकता है। यह तो जांच का विषय है कि विद्यालय में बर्तन है या नहीं है, जो कपड़ों पर रोटियां बनाकर रखी जा रही है। यह भी बताया कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक आने-जाने का कोई शेड्यूल नहीं है। सुबह-शाम चंद समय में अपना कोरम पूरा कर इतिश्री कर लेते हैं। हेडमास्टर होने के बावजूद बच्चों के पढ़ाने-लिखाने का कोई टाइम-टेबल नहीं बनाया है। वह ऐसा इसीलिए होता है कि टाइम-टेबल के मुताबिक उसको क्लास पढानी पड़ेगी। ऐसे हेडमास्टर के ऊपर शिक्षा विभाग मेहरबान है या उसके रसूख के आगे विवश है, लेकिन इन मासूम बच्चों के भविष्य के खिलवाड़ किया जा रहा है।

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