शहर की आधी बेकरियों में हो रहा लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की कई बेकरियों में र्इंधन के लिए इस्तेमाल की जानेवाली लकड़ी का धुआं मुंबईकरों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। जानकारी के अनुसार, शहर की आधी बेकरियों में लकड़ी के र्इंधन का इस्तेमाल हो रहा है, जिसके धुएं से मुंबईकर बीमार पड़ रहे हैं। इसका खुलासा एक सर्वेक्षण से हुआ है।
उल्लेखनीय है कि बेकरी क्षेत्र के कारण मुंबई के वायु प्रदूषण पर एनविजनिंग ए सस्टेनेबल बेकरी इंडस्ट्री फॉर मुंबई द्वारा छह महीने तक तकनीकी सर्वेक्षण किया गया, जिसमें पता चला है कि बेकरी में र्इंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग किया जाता है। लकड़ी का धुआं श्वसन, हृदय और हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बनता है। सर्वे से पता चला है कि स्व्रैâप्ड लकड़ी जलाने से निकलने वाली गैसें व धुआं वैंâसर, अस्थमा और कई अन्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। बीईएजी के सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि लकड़ी जलाने से पार्टिकुलेट मैटर, मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों जैसे खतरनाक धुएं का उत्सर्जन होता है। इस सर्वे में मुंबई की २०० बेकरियों में से ४७.१० फीसदी बेकरियां र्इंधन के तौर पर लकड़ी का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में बीईएजी ने बेकरियों में लकड़ी के स्थान पर स्वच्छ र्इंधन का उपयोग करने का भी सुझाव दिया है।
राख भी हेल्थ के लिए है घातक
लकड़ी का इस्तेमाल करनेवाली अधिकतर बेकरियां आमतौर पर प्रति दिन औसतन लगभग १३० किलोग्राम लकड़ी का उपयोग करती हैं, जबकि बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग करने वाली बेकरियां प्रतिदिन र्इंधन के रूप में लगभग २५० से ३०० किलोग्राम लकड़ी का उपयोग करती हैं। आमतौर पर २० किलो आटे की रोटी बनाने में चार से पांच किलो लकड़ी की जरूरत पड़ती है। लकड़ी जलानेवाली बेकरियों में पैदा होनेवाली राख को ज्यादातर डंपिंग ग्राउंड में ठिकाने लगाया जाता है। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। संस्था ने कहा है कि इन सबका पर्यावरण पर असर चौंकानेवाला है।