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हार्मोन में असंतुलन से बढ़ रहा गंजापन

सामना संवाददाता / मुंबई
बाल झड़ना या गंजापन अक्सर पैतृक से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन सच यह है कि बाल झड़ने के कई कारण होते हैं। कभी-कभी बाल झड़ने की समस्या स्वास्थ्य की किसी समस्या का दुष्प्रभाव हो सकती है, जिसे दूर किया जाना चाहिए। हेल्थकेयर के वाइस-चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर और ट्राइकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन (यूके) के प्रेसिडेंट डॉ. अक्षय बत्रा ने कहा कि पुरुषों के सेक्स हॉर्मोन्स या एंड्रोजन्स की अधिकता और हॉर्मोन में असंतुलन बाल झड़ने का सबसे आम कारण हैं जैसे कि एंड्रोजेनेटिक एलोपीसिया। फीमेल-पैटर्न बाल्डनेस में एंड्रोजन्स से हेयर फॉलिकल्स कमजोर हो सकते हैं और बहुत शेडिंग भी होती है। एस्ट्रोजन से जुड़े बदलावों के दौरान एंड्रोजन पर संवेदनशीलता बढ़ सकती है, जैसे कि गर्भ-निरोधक का इस्तेमाल या रजोनिवृत्ति। बाल झड़ना या गंजापन चाहे आनुवांशिक हो या हॉर्मोन से प्रेरित उसका होम्योपैथी से सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। डॉ. अक्षय बत्रा ने बताया कि होम्योपैथिक इलाज इन सभी बीमारियों को ठीक करता है और बाल झड़ने के मूल कारण को दूर करता है। होम्योपैथिक दवा मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का भी ध्यान रखती है, जैसे कि तनाव या चिंता, जो कि बार-बार बाल झड़ने के मूल में होती हैं। वह दिमाग पर ध्यान देकर दिमाग और शरीर के संतुलन को बहाल करती है, ताकि मरीज का पूरी तरह से इलाज हो सके। अमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी से जुड़े हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम का १,९०० से ज्यादा लोगों पर किया गया शोध बताता है कि जिन्हें मेल पैटर्न बाल्डनेस होती है और जिनके बाल जल्दी ग्रे होने लगते हैं, उन्हें हृदय रोग होने का जोखिम पांच गुना से ज्यादा होता है। बाल सिर्फ खास आहार या हॉर्मोन में बदलावों से नहीं झड़ते हैं, बल्कि यह एक चिकित्सकीय स्थिति हो सकती है। अध्ययन में पता चला है कि हार्ट अटैक के लगभग ५० फीसदी मरीजों को एंड्रोजेनिक एलोपीसिया था, जिसे आमतौर पर मेल पैटर्न बाल्डनेस कहा जाता है। जिन पुरूषों को हाल ही में बाल झड़ने या वर्टेक्स बाल्डनेस, एलोपीसिया एरीयाटा/ पैची हेयर लॉस की समस्या हुई थी, वे ५२ फीसदी थे। विभिन्न स्थितियां जैसे कि गर्भावस्था के कारण हॉर्मोन में बदलाव, शिशु को जन्म देना, रजोनिवृत्ति और थाइरॉइड की समस्याएं महिलाओं को बाल झड़ने की स्थायी या अस्थायी समस्या दे सकती हैं। फीमेल पैटर्न हेयर लॉस ५० साल की उम्र तक लगभग ४० फीसदी महिलाओं को प्रभावित करता है।

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