अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) ने बांग्लादेश में बनी हुई अस्थिरता की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। विशेष रूप से हिंदू अल्पसंख्यकों और हरे कृष्णा इस्कॉन समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा के संबंध में भी चिंता जताई है। इस्कॉन ने सभी अधिकारियों से इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान सभी नागरिकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। इस्कॉन (अयोध्या) वैश्विक संचार समूह की प्रवक्ता व प्रोजेक्ट निदेशक गीता मनिषी देवशेखर विष्णू दास ने बांग्लादेश सरकार से धार्मिक स्वतंत्रता को बरकरार रखते हुए और उनके पूजा स्थलों की रक्षा करके हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य सहित सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह अपील भी की है कि चिन्मय कृष्ण दास को उचित कानूनी सहायता प्रदान की जाए और उनके मामले को न्याय के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार, देखा जाए। यद्यपि वह इस्कॉन के न तो अधिकारी हैं और न ही प्रतिनिधि, फिर भी वे उचित व्यवहार के अधिकारी हैं।
गौरतलब है कि हाल ही की मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिले हैं कि बांग्लादेश उच्च न्यायालय देश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक रिट याचिका पर विचार कर रहा है, इसे `कट्टरपंथी धार्मिक संगठन’ का ठप्पा लगाया गया है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन इसका अस्तित्व ही बहुत आपत्तिजनक है। इस्कॉन एक सम्मानित, समावेशी वैश्विक धार्मिक परंपरा है। पचास से अधिक वर्षों से, बांग्लादेश में इस्कॉन के सदस्य कानून का पालन करने वाले नागरिक और समाज में सक्रिय योगदानकर्ता रहे हैं। यह संगठन अनाथालय, वृद्धाश्रम और मुफ्त चिकित्सा शिविर चलाता है और बाढ़ जैसी आपदाओं के समय सतत रूप से सभी धर्मों और जातियों के लोगों की सेवा करते हुए मानवीय सहायता प्रदान करता है।