बंजारा मेरा गीत

यायावर जीवन जीते -जीते
मैं बंजारा बन गया।
ना आरण्य मेरा, ना खेत मेरा
ना गाॅव मेरा,ना नगर मेरा
मैं बंजारा रह गया।
ना सुबह मेरी,ना संध्या मेरी
ना दिवस मेरा ,ना रात मेरी
समय मेरा आवारा हो गया।
ना कोई अवसर मेरा,ना समाज मेरा
ना रोष मेरा ,ना आक्रोश मेरा
सब अंगार राख हो गया।
ना सावन बरसा ,ना भादों बरसा
ना आस रही,ना विश्वास रहा
चलते -चलते थका हारा हो गया।
बंजारा था ,आज भी बंजारा हूं
इसीलिए शायद मेरा गीत भी
आज बंजारा हो गया।

बेला विरदी।

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