महाराष्ट्र लोकाधिकार समिति के नेतृत्व में पीड़ित करेंगे आंदोलन,
मांगी जा रही है कोविड काल के बकाए लोन की किस्त
महाराष्ट्र लोकाधिकार समिति के नेतृत्व में पीड़ित करेंगे आंदोलन
सामना संवाददाता / मुंबई
कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण हजारों ऑटोरिक्शा चालक बैंक लोन की किस्त भरने में असमर्थ हो गए थे। उस वक्त सरकार के वित्त विभाग ने एक गाइडलाइन देकर इन ऑटो रिक्शाचालकों से जबरन लोन वसूल करने से मना कर दिया था, लेकिन अब कुछ बैंक दोबारा कोविड काल का बकाया रकम वसूलने में लग गई है। ऐसा आरोप लगाते हुए ऑटो रिक्शाचालक बैंकों के खिलाफ आंदोलन करने वाले हैं। महाराष्ट्र लोकाधिकार समिति के नेतृत्व में पीड़ित ऑटोरिक्शा चालक सड़क पर उतरने जा रहे हैं। यह जानकारी समिति के अध्यक्ष एड. प्रसाद करंदीकर ने दी है।
ज्ञात हो कि मुंबई, ठाणे, मीरा-भायंदर, वसई-विरार, कल्याण, नई मुंबई जैसे इलाकों में रहने वाले लगभग १० से १५ हजार ऑटोरिक्शा चालकों ने जब नया परमिट चालू हुआ था, उस समय विभिन्न बैंक की अलग-अलग ब्रांचों से लोन लेकर ऑटोरिक्शा खरीदा था। उसके लोन का पैसा बैंक में ऑटोरिक्शा चालक भरते भी थे, लेकिन लॉकडाउन २०२० एवं २१ के दौरान ऑटो रिक्शा बंद होने के कारण बहुत से लोग अपने ऑटोरिक्शा की किस्त बैंक में नहीं जमा कर पाए थे।
केंद्र के आदेश को कर रहे हैं दरकिनार
किस्त वसूलने के लिए बैंकों ने सख्त रुख अख्तियार किया था, जिस पर हो-हल्ला मचने के बाद केंद्र सरकार ने सभी बैंकों को आदेश जारी किया था कि वह किसी भी लोन धारक के साथ जबरदस्ती नहीं करे। इसके बावजूद कुछ सहकारी बैंकों ने ऑटोरिक्शा चालकों के हजारों खातों से एडजस्टमेंट के नाम पर प्रति खाता ५ हजार से ७ हजार रुपए तक वसूल लिए, ऐसी जानकारी एड. प्रसाद करंदीकर ने दी।
१८ जुलाई को करेंगे आंदोलन
उन्होंने कहा कि अब दोबारा बैंक की ओर से कोविड काल का बकाया लोन किस्त मांगने की शुरुआत हो गई है। इसी के खिलाफ पीड़ित ऑटोरिक्शा चालक १८ जुलाई को कांदिवली-पश्चिम के महावीर नगर में आंदोलन प्रदर्शन कर बैंकों एवं राज्य सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं। ऐसी जानकारी महाराष्ट्र लोकाधिकार समिति के अध्यक्ष एड. प्रसाद करंदीकर ने दी है।