-वाइन शॉप्स से नहीं हटा रहे हैं देवी-देवताओं के नाम वाले साइन बोर्ड
-हिंदू जनजागृति समिति ने दी आंदोलन की धमकी
-कार्रवाई से कतरा रहा राज्य उत्पाद शुल्क विभाग
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार ने पांच साल पहले शराब की दुकानों से देवी-देवताओं और राष्ट्र पुरुषों के नाम हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन आज भी मुंबई में ६५ ऐसे वाइन शॉप्स हैं, जिनके साइन बोर्ड पर देवी-देवताओं के नाम अंकित हैं। ऐसे में ये वाइन शॉप्स न केवल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। हैरान करनेवाली बात यह है कि राज्य उत्पाद शुल्क विभाग भी ऐसे वाइन शॉप्स के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहा है। इतना ही नहीं एक आरटीआई से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि उत्पाद विभाग ने सरकार से इस नियम को ही रद्द करने की सिफारिश की है।
६५ फीसदी दुकानों के नाम आपत्तिजनक
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने चार जून २०१९ को शराब की दुकानों और बीयर बारों को दिए गए देवी-देवताओं, राष्ट्र पुरुषों, संतों और गढ़-किलों के नाम बदलने के निर्देश दिए थे। हालांकि, आरटीआई में खुलासा हुआ है कि पांच साल बाद भी मुंबई में ३१८ में से २०८ यानी ६५ फीसदी दुकानों के नाम देवी-देवताओं और राष्ट्र पुरुषों के नाम पर है।
‘कम समय में कार्रवाई संभव नहीं’
बता दें कि शराब की दुकानों और बीयर बारों के नाम बदलने के लिए कई सरकारी विभागों से पत्राचार करना पड़ता है। इसलिए यह कार्रवाई कम समय में संभव नहीं है। परिणामस्वरूप उत्पाद शुल्क विभाग ने सुझाव दिया है कि इस आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए और नए नाम देते समय पूजा स्थलों के नाम नहीं दिए जाने चाहिए।
अधिकारियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
दूसरी तरफ हिंदू जागृति समिति ने चेतावनी दी है कि सरकार को बार मालिकों की वकालत करने वाले उत्पाद विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। शराब की दुकानों और बीयर बारों को दिए गए देवी-देवताओं, राष्ट्र पुरुषों और किलों के नाम तुरंत बदले जाने चाहिए, अन्यथा वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। हिंदू जनजागृति समिति ने इस संबंध में सरकार और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग के आयुक्त से लिखित शिकायत की है। साथ ही उत्पाद विभाग के अधीक्षक से भी मिलकर इस संबंध में निवेदन दिया गया है।