गजेंद्र भंडारी
शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी को जान से मारने की धमकी के बाद राजस्थान की भजनलाल सराकर ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का पैâसला किया है। वहीं पुलिस ने धमकी देने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया है। भाटी को दो पीएसओ देने का पैâसला किया गया है। धमकी के बाद राजस्थान में रविंद्र सिंह भाटी को सुरक्षा देने की मांग उठने लगी थी। समर्थकों ने भाटी को असामाजिक तत्वों से जान का खतरा बताते हुए जेड प्लस सुरक्षा देने की मांग कर रहे थे। इसको लेकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में विरोध-प्रदर्शन किया था। बाड़मेर पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीना ने बताया कि शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी को सोशल मीडिया पर मिली धमकी के बाद उनकी सुरक्षा में दो पीएसओ को (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) लगाया गया है। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक दो पीएसओ सुरक्षा में तैनात रहेंगे। भाटी राजस्थान में इस लोकसभा चुनाव के दौरान बड़े और चर्चित नेता बनकर उभरे हैं। कोई उन्हें भाजपा के लिए खतरा बता रहा है तो कोई भाजपा की बी टीम कह रहा है। कुछ भी हो, फिलहाल उनके पास बड़ा जन समर्थन है और यही कारण है कि सरकार को सुरक्षा देने की उनकी बात माननी पड़ी।
किसी और ने डाल दिया वोट
राजस्थान में चुनाव खत्म हो चुके हैं, लेकिन किस्से खत्म नहीं हुए हैं। कोटा उत्तर विधानसभा में लाडपुरा बीनबाजा स्थित मतदान केंद्र पर दो घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद जब पता चला वोट तो पहले ही कोई डाल चुका है। लाडपुरा निवासी रुकमिणी महावर (४०) ने बताया कि वो शाम ४ बजे जब बूथ के अंदर गई तो कर्मचारियों ने बताया कि आपका वोट तो पड़ चुका है। इसी तरह लाडपुरा निवासी जीतू कश्यप (३८) ने बताया कि दो घंटे करीब लाइन में लगने के बाद जैसे ही मतदान करने बूथ के अंदर गया तो पर्ची देखने के बाद कर्मचारियों ने कहा कि आपका वोट भी पहले ही पड़ चुका है। अब दोबारा से वोट नहीं पड़ेगा और मतदान केंद्र से बाहर निकाल दिया। बाहर जैसे ही दोनों के फर्जी वोट पड़ने की सूचना मिली तो प्रमोद लोधा सहित अन्य लोग उन्हें लेकर बीएलओ के पास गए। बीएलओ उन्हें अंदर पीठासीन अधिकारी के पास लेकर गए तो अधिकारी ने कहा कि इन्होंने पहले वोट डाल दिया अंगुली से स्याही मिटा दी। बीएलओ ने भी पीठासीन अधिकारी को समझाया कि इन्हें मैं जानता हूं। ये मतदान करने नहीं आए, लेकिन पीठासीन ने किसी की नहीं सुनी।
अब तक सड़क नहीं, इसलिए वोट नहीं
भले ही सरकार हाइवे को चकाचक करने का दावा कर रही हो, लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में लोग सड़कों के लिए तरस रहे हैं। यही वजह है कि लोग मूलभूत सुविधाएं न मिल पाने पर वोटिंग का बहिष्कार भी कर रहे हैं। देवपुरिया गांव में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। यहां के बूथों पर एक भी वोट नहीं डाला गया। सूचना पर प्रशासनिक अधिकारियों ने ग्रामीण के साथ समझाइश की, लेकिन वे अड़े रहे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सड़क नहीं बनेगी, तब तक एक भी वोट नहीं डाला जाएगा। आजादी के ७५ वर्ष बाद भी गांव में आज तक सड़क का निर्माण नहीं होने से खफा मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले ही मतदान बहिष्कार की घोषणा कर दी थी। गांव आबादी ७०० से ८०० के बीच है। ४०० मतदाता हैं। मतदान नहीं होने से मतदान केंद्र सूने रहे। शाम तक भी एक भी वोट नहीं डाला गया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सड़क नहीं बनाई जाएगी, तब तक मतदान का बहिष्कार जारी रहेगा।