गजेंद्र भंडारी
चुनाव के दौरान नेताओं के बोल बिगड़ जाते हैं। ऐसे में चुनाव आयोग कार्रवाई करता है। इस बार आयोग ने बीजेपी के मंत्री पर कार्रवाई की है। कोटा निर्वाचन अधिकारी ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को सख्त चेतावनी दी। जिला निर्वाचन अधिकारी कोटा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि वह किसी भी प्रकार का कोई ऐसा कार्य अथवा वक्तव्य प्रसारित नहीं करें, जिससे समाज के बीच वैमनस्यता उत्पन्न हो और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो। कांग्रेस ने पिछले माह आचार संहिता उल्लंघन को लेकर प्रदेश में निर्वाचन अधिकारियों को २० से अधिक शिकायतें दीं, जिनमें कार्रवाई नहीं होने को लेकर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने हाल ही चुनाव आयोग के सामने मुद्दा उठाया। इन शिकायतों में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के सात अप्रैल को एक टीवी चैनल पर आए बयान से संबंधित मामला भी शामिल है।
पिता को बेटे की जीत की उम्मीद
राजस्थान की २५ लोकसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है। अब ४ जून को नतीजे जारी होंगे। इसी बीच कुछ ऐसी सीटें भी हैं, जिनकी खूब चर्चाएं हुईं। इन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने भी अच्छा चुनाव लड़ा। हम बात कर रहे हैं जालौर-सिरोही सीट की, जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने चुनाव लड़ा। इससे पहले वैभव गहलोत ने जोधपुर सीट से चुनाव लड़ा और गजेंद्र सिंह शेखावत से हार गए थे। अब जालौर-सिरोही सीट पर वैभव ने चुनाव लड़ा। इस बार उनका चुनाव ़वैâसा रहा, इस पर गहलोत ने रिएक्शन दिया है। गहलोत ने कहा कि सीट टफ है, २० साल से वहां बीजेपी जीत रही है, गुजरात से लगती हुई सीट है। चुनाव हमें लड़ना था, मैं लड़ता या वैभव चुनाव लड़ता। जोधपुर से चुनाव लड़ना नहीं था। २०१९ में वहां ऐसी स्थिति बन गई थी, लेकिन इस बार सिरोही से ही चुनाव लड़ना था इसलिए वैभव को यहां उतारा गया, लेकिन वैभव ने वहां चुनाव अच्छा लड़ा है। वहां चुनाव अच्छा हुआ है और इससे अच्छा चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। गहलोत ने आगे कहा कि २०१९ में अहमद पटेल जानते थे कि जोधपुर कांग्रेस के लिए टफ सीट है फिर भी वैभव ने चुनाव लड़ा। गहलोत को पूरी उम्मीद है कि उनका बेटा जरूर इस सीट से जीतकर संसद पहुंचेगा।
राजपूत समाज के बाद कौन है बीजेपी से नाराज?
राजस्थान में भरतपुर लोकसभा सीट को लेकर मतदान से पहले काफी चर्चा रही, क्योंकि यहां जाटों ने ऑपरेशन `गंगाजल’ चलाकर बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील की थी। वहीं इस सीट पर गुर्जर समाज का वोट भी काफी अहम है। यह सीट एससी के लिए आरक्षित है। बीजेपी ने यहां से रामस्वरूप कोली और कांग्रेस ने संजना जाटव को मैदान में उतारा है। गुर्जर समाज का कहना है कि इस बार वोट कांग्रेस को गया है। समाज में साफतौर पर गुस्सा अग्निवीर स्कीम को लेकर है। अब सवाल यह है कि इस चुनाव में क्या बड़ा परिवर्तन होने वाला है। अगर बीजेपी को यहां नुकसान होता है तो सीधा नुकसान भजनलाल शर्मा को होगा, क्योंकि यह मुख्यमंत्री का गृह जिला भी है। लगातार कई समाज के लोग बीजेपी का विरोध कर रहे हैं, ऐसे में यह समझ से परे है कि बीजेपी ४०० पार का दावा वैâसे कर रही है। राजस्थान की पूरी २५ सीटें जीतने का दावा बीजेपी ने किया है, लेकिन सट्टा बाजार का अंदाजा कुछ और ही है। कहा जा रहा है कि यहां बीजेपी को कम से कम ८ से १० सीटों का नुकसान हो रहा है। खैर, ४ जून को स्थिति साफ हो ही जाएगी।