मुख्यपृष्ठस्तंभराजस्थान का रण : बुरा भी मानो तो होली है!

राजस्थान का रण : बुरा भी मानो तो होली है!

मनमोहन सिंह

होलिका दहन के दिन यानी इतवार को भारतीय जनता पार्टी ने ७ सीटों के उम्मीदवारों के नाम जाहिर किए। सात में से तीन सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मौका मिला है। इन तीन उम्मीदवारों के नाम से भाजपा के अंदर खाने में नाराजगी देखी जा सकती है। उनकी हालत ऐसी है कि न तो उनसे निगलते पड़ रहा है न उगलते!
पहले हैं, राजसमंद से दावेदारी कर रहे पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, दूसरे हैं अजमेर से दावेदारी कर रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और तीसरे हैं जयपुर शहर से दावेदारी कर रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी। इन तीनों को इस दफा भाजपा ने टिकट नहीं दिया है और जिनका पत्ता साफ हुआ है वे सभी छोटे-मोटे नेता नहीं, बल्कि सभी कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं। इसके अलावा
भाजपा ने दौसा, करौली-धौलपुर और भीलवाड़ा में उम्मीदवारों की घोषणा रोक दी है। दौसा में कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीना के भाई जगमोहन मीना, पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीना, वर्तमान सांसद जसकौर मीना की पुत्री अर्चना मीना दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, करौली-धौलपुर में पार्टी ने पहले तो पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव का टिकट फाइनल किया था, लेकिन ऐनवक्त पर घोषणा रोक दी गई। भीलवाड़ा में वर्तमान सांसद सुभाष बहेड़िया के अलावा रिजू झुनझुनवाला की दावेदारी पर निर्णय नहीं हो सका। इस चक्कर में उम्मीदवारों की घोषणा रुक गई। कुल मिलाकर कई लोगों के लिए जिन्हें लोकसभा सीट को लेकर बड़ी-बड़ी आशाएं थी, उनका होली का रंग बेरंग हो गया है।
क्यों हारती है कांग्रेस?
कांग्रेस क्यों हार रही है, इसे लेकर कांग्रेसी सीनियर लीडर मुरारी लाल मीणा ने बड़ा खुलासा किया है। मीणा ने कहा, `पार्टी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण है यह कि मतदान के दिन हम लोग लापरवाही करते हैं। अगर सभी नेता और कार्यकर्ता एक हो जाएं और लापरवाही नहीं बरतें तो पार्टी को चुनावों में हार का सामना नहीं करना पड़े।’
याद कीजिए पिछले कुछ चुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस हार रही है। यहां तक पिछले साल तीन हिंदी भाषी राज्यों-राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था। इन तीन राज्यों में से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की सरकार थी। अशोक गहलोत और सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेताओं के होते हुए भी पार्टी की जीत से दूरी बनी रही।
मीणा ने ज्ञान देते हुए बताया, `हर पार्टी की ताकत उसके कार्यकर्ता होते हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता अगर ठीक से काम करें तो वह प्रत्येक बूथ पर पार्टी को मिलने वाले मतों की संख्या में बढ़ोतरी करवा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हम गारंटी से चुनाव जीत सकते हैं। वहीं, मतदान के दिन अगर कार्यकर्ताओं ने मेहनत नहीं की और लापरवाही बरती तो मिलने वाली जीत हार में बदल सकती है।’
वाकई दिलचस्प खुलासा है। कहा जा सकता है कि कांग्रेसी अलादीन को चिरागी जिन्न मिल गया है! अब तो मीणा महोदय को सचिन पायलट के प्रति ईमानदारी का प्रतिफल भी मिल गया है। देखना दिलचस्प होगा कि इस गूढ़ ज्ञान का इस चुनाव नतीजों पर कितना असर पड़ता है!
कभी-कभी लगता है नेताओं को अपने कार्यों से ज्यादा ज्योतिष और कर्मकांडों पर विश्वास होता है। खैर, यह उनकी मजबूरी भी है क्योंकि वह खुद जानते हैं कि इलेक्शन से पहले जीतने के लिए वे जनता के सामने जो बड़े-बड़े दावे करते हैं, वह सिर्फ लफ्फाजी होती है। आज की तारीख में उसके लिए जो शब्द प्रचलित है वह है जुमले, चुनावी जुमले। यदि वाकई उन्हें अपने चुनावी वादों को हकीकत का जामा पहनाने की ललक होती और वह अपने चुनावी वादों पर खरे उतरते तो ग्रह नक्षत्रों से डरने की क्या जरूरत होती? राजस्थान में २० मार्च से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन का कार्य शुरू हो गया था, लेकिन होलाष्टक की वजह से काफी कम उम्मीदवारों ने नामांकन किया।
रिपोर्ट बताती है कि २३ मार्च तक सात लोकसभा क्षेत्र से सिर्फ नौ उम्मीदवारों ने नामांकन किया, जबकि पांच लोकसभा क्षेत्र में से एक ने भी नामांकन नहीं किया था। वजह होलाष्टक! होलाष्टक १७ मार्च से २४ मार्च तक रहा। माना जाता है कि इन आठ दिनों तक ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है और इस दौरान शुभ और नए कार्य टाले जाते हैं। उम्मीदवारों का मानना है कि किसी भी शुभ कार्य की सफलता में मुहूर्त विशेष का बड़ा असर होता है, जो सभी कार्यों में सिद्धि दायक होता है। होलिका दहन हो गई है साथ ही होलाष्टक भी समाप्त। अब नामांकन भरने के लिए शुभ मुहूर्त की गणना जारी है। भीड़ उमड़ पड़ी है ज्योतिषों के द्वारे!
चलते चलते
यह हैं योग
२६ मार्च : राजयोग, कुमार योग व दिपुष्कर योग
२७ मार्च : राजयोग

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