मुख्यपृष्ठसमाचारटिकट काटने का कितना होगा नुकसान?

टिकट काटने का कितना होगा नुकसान?

गजेंद्र भंडारी

इस बार भाजपा ने लगभग हर राज्य में किसी भी सांसद को दोबारा रिपीट नहीं किया है। कुछ ही सांसद ऐसे हैं, जिन्हें दोबारा मौका मिला है। यही हाल राजस्थान का भी है। इनमें राजसमंद से राजेंद्र राठौड़, अजमेर से सतीश पूनिया और जयपुर शहर से अरुण चतुर्वेदी शामिल हैं। भाजपा ने इन तीनों का टिकट काटा है। यही वजह है कि कहीं न कहीं भाजपा में अंदरूनी कलह चल रही है और चुनाव में पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है। इन तीनों का टिकट काटे जाने से इनके समर्थक नाराज हैं। हालांकि, भाजपा विरोध के सुर उठने से पहले ही दबा दिए जाते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर तो खेला हो सकता है। लोगों का कहना है कि भाजपा को इस बार इसी वजह से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, भाजपा ने दौसा, करौली-धौलपुर और भीलवाड़ा में प्रत्याशी की घोषणा रोक दी है। दौसा में कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा, पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीणा, वर्तमान सांसद जसकौर मीणा की पुत्री अर्चना मीना दावेदारी कर रहे हैं। इस चक्कर में प्रत्याशी की घोषणा रुक गई।
१०० दिन में सरकार ने क्या किया
राजस्थान सरकार को बने १०० दिन पूरे हो चुके हैं और उसका दावा है कि इन १०० दिनों में हमने बढ़िया काम किया है। सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने १०० दिन में सिर्फ पिछली सरकार की योजनाओं के नाम बदले हैं, इसके अलावा कुछ नहीं किया। दूसरा काम यह किया है कि ५० दिन सरकार बनाने में लगा दिए और ५० दिन अफसरों के ट्रांसफर करने में गुजार दिए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार के काम की समीक्षा की है। उनका कहना है कि सरकार ने १०० दिन में एक भी कदम ऐसा नहीं उठाया, जो उपलब्धियों में गिना जा सके। कहा जा रहा है कि कुछ अफसरों के तो १०० दिन में ७ बार ट्रांसफर किए गए हैं। कांग्रेस ने पूर्व सरकार की चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री आयुष्मान योजना करने और इंदिरा रसोई का नाम बदलकर अन्नपूर्णा रसोई करने का भी आरोप लगाया है।
कोरोना में गई थी पिता की जान, बेटी को टिकट
भाजपा ने इस बार जयपुर शहर से महिला उम्मीदवार पर दांव लगाया है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृपा से मंजू शर्मा को टिकट मिला है। दरअसल, मंजू के पिता और दो बार विधायक रहे भंवरलाल शर्मा की कोरोना के दौरान मौत हो गई थी। भाजपा ने मंजू पर इस सीट पर भरोसा जताया है। हालांकि, मंजू को टिकट मिलने से पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं, जो पहले से ही टिकट मिलने की आस लगाए बैठे थे। हाल में एक बड़े नेता ने यहां से दावेदारी पेश की थी, लेकिन उनका टिकट काट दिया गया। यहां इस बार लड़ाई दिलचस्प होने वाली है। वैसे, मंजू का पॉलिटिकल बैकग्राउंड काफी मजबूत है, क्योंकि उनके पिता हवा महल सीट से २६ साल तक विधायक रहे हैं।

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