गजेंद्र भंडारी
अब दिल्ली फतह की तैयारी
लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को फतह करने में राजस्थान के नेताओं की बड़ी भूमिका रहेगी। दरअसल, दिल्ली की सीटें जीतने को लेकर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा ने प्रदेश के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियों से नवाजा है। राजस्थान से सटी दिल्ली में कुल ७ लोकसभा सीटें हैं और अभी सातों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इन सभी लोकसभा क्षेत्रों के लिए २५ मई को छ’े चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की ७ लोकसभा सीटों पर प्रचार के लिए ४० स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इसमें दोनों डिप्टी सीएम दिया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा से लेकर सीएम भजन लाल शर्मा तक को शामिल किया गया है। कांग्रेस पार्टी ने भी राजस्थान के दो कद्दावर नेताओं को दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी दी है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को जहां नार्थ दिल्ली में ऑब्जर्वर लगाया गया है, वहीं राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को चांदनी चौक लोकसभा सीट पर ऑब्जर्वर लगाया गया है। ओडिशा की ४० स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व सीएम अशोक गहलोत का नाम नहीं है और प्रदेश से एकमात्र नेता पायलट को ही चुना गया है। पायलट के कंधों पर बतौर स्टार प्रचारक अन्य राज्यों में भी कैंपेनिंग करने का जिम्मा है।
इस्तीफे का बयान कहीं हार का डर तो नहीं?
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे वाले बयान को लेकर सियासत की बेचैनी बढ़ रही है। मीणा का हाल ही में दिया यह बयान कि सरकार में होना मेरा माइनस प्वाइंट है, सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है। राजस्थान की सियासत को समझने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक बयान बहुत सटीक बै’ता है कि जो दिखता है, वो होता नहीं है और जो होता है, वह दिखता नहीं है। ‘ीक यही स्थिति इस वक्त राजस्थान की है। यहां बीजेपी सरकार के वैâबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा लगातार बयान दे रहे हैं कि दौसा लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी कन्हैयालाल मीणा यदि चुनाव हार जाते हैं तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। दरअसल, दौसा सीट पर प्रचार की कमान बीजेपी ने डॉ. किरोड़ीलाल को दी थी, यहां पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो भी हुआ था। इसके बावजूद चर्चा है कि दौसा सीट पर पेंच फंसा हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान भी डॉ. किरोड़ी मीणा ने अपने समर्थकों के बीच बयान दिया था कि यदि कन्हैयालाल चुनाव हारे तो वे उसी दिन मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
…तो भुगतना होगा परिणाम
राजस्थान कांग्रेस प्रदेश में संग’न का पूरा चेहरा बदलने की तैयारी कर रही है। प्रदेश कांग्रेस स्तर पर इस संबंध में एक्शन प्लान तैयार कर लिया गया है। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद दिल्ली आलाकमान की अनुमति से पैâसला लिया जाएगा। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के साथ ही राजस्थान कांग्रेस में बड़े बदलाव होंगे। खासतौर पर संग’न से जुड़े बड़े नेताओं की छुट्टी कर दी जाएगी, जो चुनाव में निष्क्रिय रहे या जिन्होंने पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में पर्दे के पीछे भूमिका निभाई। राजस्थान में ऐसे ४०० नेताओं की सूची तैयार कर ली गई है। इन नेताओं की जगह ऊर्जावान युवाओं को जगह दी जा सकती है। इन नेताओं में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी और कई पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। राजस्थान में संग’न में फिलहाल करीब २,२०० पदाधिकारी हैं। इनमें करीब ४०० के आस-पास ऐसे नेता हैं, जो लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका का निर्वहन करने में विफल रहे हैं।