मुख्यपृष्ठस्तंभराजस्थान का रण : पायलट ने रखी अपने दिल की बात

राजस्थान का रण : पायलट ने रखी अपने दिल की बात

गजेंद्र भंडारी

राजस्थान में लोकसभा चुनाव पर बात करते हुए पायलट ने कहा कि जो ऊपर जाता है, वो नीचे भी आता है। राजस्थान में १० साल से सभी सांसद भाजपा के चुने गए, लेकिन वो राजस्थान के लिए कोई बड़ा काम नहीं कर पाए। राजस्थान में ४ महीने पहले बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई, हम इस बार राजस्थान में भाजपा से अच्छा प्रदर्शन करेंगे। पायलट ने २०१८ में खुद को मुख्यमंत्री न बनाने, कांग्रेस की चुनावी रणनीति, राजस्थान में कांग्रेस की हार, लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के परफॉरमेंस जैसे कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें २०१८ में मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया? इसका जवाब देते हुए पायलट ने कहा कि वो निर्णय पार्टी का था और आज मैं यह कहना चाहूंगा कि वो पैâसला भी पार्टी ने मुझसे राय-मशवरे के बाद लिया था। उन्होंने कहा कि जो किस्मत में होता है मिलता है, जो नहीं होता नहीं मिलता। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से `तल्ख’ रिश्तों का पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम पर प्रभाव पड़ने के सवाल पर पायलट ने कहा कि २०१३ के विधानसभा चुनाव में जब हम हारे थे तो हमारी २१ सीटें आईं थीं, लेकिन २०२३ के चुनाव में जब हम हारे हैं तो हम ७१ सीटें जीते हैं। हम जब भी हारते थे २०-२१ या ५० तक सिमट जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

बीजेपी में तालमेल नहीं
पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान वैâनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) में देरी होने से राजस्थान की चिंता बढ़ रही है। राजस्थान तो काफी समय पहले ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सौंप चुका है, लेकिन मध्य प्रदेश ने अभी तक अपना होमवर्क पूरा नहीं किया। इसको लेकर राजस्थान सरकार ने केंद्र को दखल देने की जरूरत जताई है। जल संसाधन विभाग के अफसरों ने कहा है कि समयबद्ध काम होना जरूरी है, नहीं तो प्रोजेक्ट की मियाद के साथ लागत भी बढ़ेगी। दरअसल, दोनों राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर ही संयुक्त डीपीआर बनेगी और इसी के आधार पर प्रोजेक्ट आगे बढ़ेगा। साथ ही प्रोजेक्ट लागत का ९० प्रतिशत हिस्सा भी केंद्र सरकार स्तर पर वहन करने के प्रस्ताव पर भी इसके बाद ही मुहर लग पाएगी। दिल्ली में दोनों राज्य और जलशक्ति मंत्रालय के बीच एमओयू हुआ और उसके बाद दोनों राज्यों के जल संसाधन विभाग के अफसरों को निर्देश दिए गए कि डीपीआर तैयार करने का काम अगले एक माह में पूरा करें। केंद्र और राज्य दोनों सरकार चाह रही थीं कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ही काम रफ्तार पकड़े, लेकिन चुनाव के तीन चरण पूरे होने के बाद भी मध्य प्रदेश स्तर पर डीपीआर नहीं बन पाई।

मंत्रियों-विधायकों की आएगी शामत
राजस्थान में लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। इसके बाद अब लोकसभावार भाजपा यह आकलन करने में जुटी है कि पार्टी के कितने मंत्री, विधायक और पूर्व विधायक मन से चुनाव प्रचार में जुटे हैं या नहीं? पार्टी को मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार करीब दस मंत्री और विधायकों के लिए प्रत्याशियों ने यह जानकारी दी है कि इन नेताओं ने पूरे मन से चुनाव में काम नहीं किया। पार्टी यह रिपोर्ट तैयार कर जल्द ही आलाकमान को भेजेगी। इस रिपोर्ट और चुनाव परिणाम में यदि समानता आई तो मंत्रियों-विधायकों पर कार्रवाई तय की जाएगी। पार्टी से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मन से काम नहीं करने वाले मंत्री जोधपुर, पाली और जयपुर संभाग के हैं। जयपुर संभाग वाले मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में पार्षदों को प्रचार करने और मीटिंग करने से रोका है। इसी तरह दो अन्य मंत्रियों पर यह आरोप लगे हैं कि उन्हें अपने समाज के वोट भाजपा प्रत्याशियों को डलवाने के लिए जितनी मेहनत करनी चाहिए थी, उतनी नहीं की है।

 

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